बिहार में एनडीए सरकार की एक बार फिर से वापसी तो हो चुकी है, लेकिन बीजेपी और जेडीयू के साथ आने से एनडीए में शामिल कई अन्य पार्टियों में नाराजगी देखी जा रही है. बीते 2 मार्च को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औरंगाबाद और बेगूसराय पहुंचे थे. इस दौरान उनके इस कार्यक्रम में राज्य के सीएम नीतीश कुमार, हम के संयोजक जीतन राम मांझी समेत कई अन्य बड़े नेता मौजूद थे, लेकिन इस कार्यक्रम में दो नेताओं की गैर मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा कर रख दिया है. आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और लोजपा (रामविलास) से चिराग पासवान इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
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उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से नाराज!
उपेंद्र कुशवाहा के कार्यक्रम में शामिल ना होने को लेकर फिर से यह चर्चा तेज हो गई है कि कुशवाहा पाला बदल सकते हैं. दरअसल, बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा. कहा जा रहा है कि 2019 की तरह इस बार भी बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे तो वहीं अन्य 6 सीटों का बंटवारा सभी सहयोगी दलों के बीच होगा. जिसे लेकर सहयोगी दलों में नराजागी देखी जा रही है.
पहले भी पाला बदल चुके हैं कुशवाहा
साल 2000 की बात करें तो उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ समता पार्टी में थे. नीतीश ने कुशवाहा को बिहार में विपक्ष का नेता बनवाया था. कुशवाहा कुछ सालों तक समता पार्टी में रहे, लेकिन इस बीच नीतीश और उनके बीच कुछ अनबन हो गई और फिर कुशवाहा समता पार्टी छोड़कर एनसीपी में चले गए. एनसीपी में कुछ सालों तक रहने के बाद कुशवाहा ने एक बार फिर से जेडीयू में वापसी कर ली. जिसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें साल 2010 में राज्यसभा भेजा. 2013 में एक बार फिर से नीतीश और कुशवाहा में अनबन इतनी बढ़ गई कि कुशवाहा ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया.
नीतीश-कुशवाहा का रिश्ता बनता-बिगड़ता
2013 में कुशवाहा ने खुद की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बनाया और फिर बीजेपी से गठबंधन किया. 2014 में कुशवाहा की पार्टी ने लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर लड़ी और जीती. जिसके बाद केंद्र सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री बने. इस बीच 2017 में महागठबंधन का साथ छोड़ नीतीश फिर से एनडीए में आ गए. कहा जाता है इस वजह से 2018 में कुशवाहा ने मंत्री पदग से इस्तीफा दे दिया और महागठबंधन में शामिल हो गए. 2019 में कुशवाहा ने महागठबंधन में रहकर ही चुनाव लड़ा था. उनकी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, कुशवाहा ने खुद दो सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन दोनों ही सीटों पर उनकी हार हुई. इतना ही नहीं उनकी पार्टी ने पांचों सीटों पर हार का सामना किया.
लोकसभा सीट बंटवारे को लेकर असहज कुशवाहा!
2020 में कुशवाहा ने तीसरा मोर्चा बनाकार बसपा, AIMIM से मिलकर चुनाव लड़ी, लेकिन इस बार भी हार का सामना करना पड़ा. हार का सामने करने के बाद कुशवाहा ने अपनी पार्टी को जेडीयू में विलय कर दिया और नीतीश के साथ अपने रिश्ते में सुधार लाया. नीतीश ने कुशवाहा के साथ रिश्ते सुधारते हुए उन्हें जेडीयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष और एमएलसी बनाया, लेकिन एक बार फिर 16-17 महीने साथ रहने के बाद दोनों के बीच मतभेद शुरू हो गया. इसके बाद कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा नाम से पार्टी बनाई और भाजपा में शामिल हो गए. एक बार फिर से कुशवाहा के बाद नीतीश ने भी महागठबंधन का साथ छोड़ एनडीए का हाथ थाम लिया है. इन वजहों से ऐसा लग रहा है कि एक बार फिर क्या कुशवाहा लोकसभा सीटों को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं?
HIGHLIGHTS
- उपेंद्र कुशवाहा बदल सकते हैं पाला
- पहले भी पाला बदल चुके हैं कुशवाहा
- नीतीश-कुशवाहा का रिश्ता बनता-बिगड़ता
Source : News State Bihar Jharkhand