भारत बंद के दौरान केस होने और आरक्षण के मुद्दे को लेकर आज बिहार की राजधानी पटना में सवर्णों ने सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के दफ्तर का घेराव और विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान सवर्णों ने मांग रखी कि एससी-एसटी एक्ट के विरोध में भारत बंद के दौरान जो मुकदमे किए गए उन्हें वापस लिया जाएगा। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी मांग रखी कि गरीब सवर्णों को भी आरक्षण दिया जाए और एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही फिर से लागू किया जाए।
प्रदर्शन कर रहे भिमिहार-ब्राह्मण महासभा ने इस दौरान बीजेपी दफ्तर के बाहर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला भी फूंका।
गौरतलब है कि 6 सितंबर को एससी एसटी एक्ट (SC/ST Act) के खिलाफ सवर्ण संगठनों के बिहार बंद का व्यापक असर देखने को मिला था। राज्य के अलग-अलग इलाकों में बंद समर्थक सड़क पर उतर आए थे। लोगों ने सड़कों के बीचो बीच टायर जलाकर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया है। कई जगह समर्थकों ने सड़कों पर गाड़ियों को खड़ा करके जाम कर दिया है। NH- 28, NH-80 और NH-31 को समर्थकों ने जाम कर दिया था जिससे इन सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतार लग गई थी। वहीं जहानाबद में समर्थकों ने टायर जालकर सड़क को जाम कर दिया।
और पढ़ें: बिहार में सुशासन पर सवाल, पूर्णिया बाल सुधारगृह में हाउस फादर समेत 2 की हत्या, 5 कैदी फरार
SC/ST पर केंद्र सरकार ने संसद में विधेयक लाकर पलटा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए केंद्र सरकार इस मॉनसून सत्र में SC/ST संशोधन विधेयक लेकर आई थी जिसे बाद में वोटिंग के जरिए पास कर दिया गया। विधेयक पर वोटिंग के दौरान एक भी वोट उसके खिलाफ नहीं पड़ा था। सरकार ने विधेयक को पेश करते हुए कहा कि समाज के इस वर्ग को न्याय में हो रही देरी के निवारण के उद्देश्य से इसे लाया गया है।
SC/ST संशोधन विधेयक 2018 बिल के साथ ही SC-ST एक्ट अपने पुराने मूल स्वरूप में आ गया। राज्यसभा में इस बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति ने भी इसे अपनी मंजूरी दी थी।
और पढ़ें: बिहार में सात नक्सलियों को उम्रकैद की सजा, 2010 में पुलिसकर्मी की हत्या का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर लगाई थी रोक
एससी/एसटी एक्ट पर दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे में आरोपी के तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में अग्रम जमानत को भी मंजूरी दे दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी बल्कि गिरफ्तारी के लिए अपॉइंटिंग अथॉ़रिटी की मंजूदी को भी अनिवार्य कर दिया और आदेश दिया था कि गैर सरकारी किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी स्तर की अधिकारी की मंजूरी लेनी होगी।
Source : News Nation Bureau