उम्र 80 साल... मोर्चा अंग्रेजी हुकूमत से और निर्णय जंग में जीत और वीरगति. ये 80 साल के योद्धा कोई और नहीं बल्कि वीर कुंवर सिंह जी थे. जिस उम्र में लोग खाट पकड़ लेते हैं और चलने फिरने में भी असमर्थ हो जाते हैं उस उम्र में वीर कुंवर सिंह जी ने ना सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत से मोर्चा लिया, बल्कि अपना किला भी वापस आया और फिर देश के वीर सपूतों में शामिल हो गए. 1857 स्वाधीनता की क्रांति में बिहार की धरती से नेतृत्व करनेवालों में वीर कुंवर सिंह का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है. बेशक वीर कुंवर सिंह की उम्र 80 साल थी लेकिन अंग्रेजों का लोहा उन्होंने बिल्कुल नव युवा की तरह लिया और उन्हें पराजित किया. वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों को एक-दो बार नहीं बल्कि सैकड़ों बार पराजित किया था. वीर कुंवर सिंह की तारीफ में अंग्रेजों के इतिहासकार होम्स ने तो यहां तक लिख डाला कि शुक्र है ये योद्धा बूढ़ा है अगर जवान होता तो उसी समय अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ जाता. आज की तारीख यानि 23 अप्रेल 1958 में उन्होंने अपनी भौतिक जीवन की आखिरी जीत हासिल की थी.
अंग्रेजों का आतंक पूरे देश में था. राजा प्रजा सब अंग्रेजों से आजादी चाहते थे और अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट थे. बिहार के महान पुरुष वीर कुंवर सिंह भी 1857 की क्रांति में कूद पड़े और एक बार नहीं बल्कि कई बार अंग्रेजों को हराया था. वीर कुंवर सिंह जी को देश का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक के रूप में जाना जाता है. उम्र बेशक 80 साल थी लेकिन जंग में जीत हासिल करना वीर कुंवर सिंह जी को बखूबी आता था. वीर कुंवर सिंह जगदीशपुर के शाही उज्जैनिया राजपूत घराने से ताल्लुक रखते थे. बाबू कुंवर सिंह ने रीवा के ज़मींदारों को एकत्र करने का काम किया और उन्हें भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग लड़ने के लिए तैयार किया.
नाना साहब, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बेगम हजरत महल जैसे शूरवीरो ने अपने अपने क्षेत्रों और इलाकों में अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ी. बिहार में दानापुर के क्रांतकारियो ने भी 25 जुलाई सन 1857 को विद्रोह कर दिया और अंग्रेजों को हराकर आरा पर अधिकार प्राप्त कर लिया. दानापुर के क्रांतिकारियों का नेतृत्व खुद वीर कुंवर सिंह जी ही कर रहे थे. 1857 के सेपॉय विद्रोह में कुंवर सिंह ने महत्वपूर्ण और प्रभावशाली भूमिका निभाई थी. 13 नवम्बर 1777 को राजा शाहबजादा सिंह और रानी पंचरतन देवी के घर, बिहार राज्य के शाहाबाद (वर्तमान भोजपुर) जिले के जगदीशपुर में जन्में कुंवर सिंह की मृत्यु 1857 की क्रांति में अंग्रेजी हुकूमत से जंग लड़ने के दौरान हुई थी.
बिहार में कुंवर सिंह अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हो रही लड़ाई के अगुवा थे. 5 जुलाई 1857 को जिस भारतीय सेना ने दानापुर का विद्रोह किया था, उन्होंने ही उसी सेना को आदेश दिया था और जिला मुख्यालय पर कब्जा कर लिया था लेकिन ब्रिटिश सेना ने धोखे से अंत में बाबू वीर कुंवर सिंह की सेना को हरा दिया और जगदीशपुर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था. दिसम्बर 1857 को कुंवर सिंह अपना गाँव छोड़कर मौजूदा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ चले गये थे.
गोली लगने पर अपना हाथ काट डाला था
बाबू वीर कुंवर सिंह की उम्र 80 वर्ष हो गई थी. वो जगदीशपुर वापस नहीं आना चाह रहे थे लेकिन ना चाहते हुए भी उन्हें आना पड़ा. इतिहास व तमाम पुस्तकों के मुताबिक, रास्ते में नदी पार करते समय अंग्रेज़ों की एक गोली उनकी ढाल को छेदकर बाएं हाथ की कलाई में लग गई थी. शरीर में जहर ना फैले और स्वतंत्रता की लड़ाई में रुकावट ना आए इसके लिए उन्होंने अपनी कलाई ही काटकर नदी में फेंक दिया था. वीर कुंवर सिंह अपनी सेना के साथ जंगलों की ओर चले गए और अंग्रेज़ों को युद्ध में एक बार फिर से पराजित करके 23 अप्रैल, 1858 को जगदीशपुर पहुँचे.
जगदीशपुर के लोगों द्वारा उन्हें राजा घोषित करते हुए उन्हें सिंहासन पर बिठाया गया लेकिन हाथ में सेप्टिक हो जाने के कारण उन्होंने 26 अप्रैल, 1858 को अपने जीवन को अलविदा कह दिया. वीर कुंवर सिंह ने 23 अप्रैल 1858 में, जगदीशपुर के अपने जीवन की आखिरी जंग लड़ी थी. ईस्ट इंडिया कंपनी के भाड़े के सैनिकों को वीर कुंवर सिंह ने पूरी तरह से खदेड़ दिया था. उस दिन बुरी तरह घायल होने पर भी इन्होंने जगदीशपुर किले से "यूनियन जैक" नाम का झंडा उतार ही दिया था.
माननीयों ने किया याद
वीर कुंवर सिंह विजय दिवस के अवसर पर पटना स्थित वीर कुंवर सिंह आजादी पार्क में आयोजित राजकीय समारोह में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। pic.twitter.com/AkPMEDn2pn
— Nitish Kumar (@NitishKumar) April 23, 2023
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह जी के विजयोत्सव पर आयोजित राजकीय समारोह में भाग लेकर उन्हें नमन किया। pic.twitter.com/WwjkeM79H0
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) April 23, 2023
इस अवसर पर @nityanandraibjp, @AshwiniKChoubey, @VijayKrSinhaBih, @sanjayjaiswalMP @SushilModi, @SIGRIWALBJP, @RiturajSinhaBJP, @mangalpandeybjp, @MinisterNSBablu एवं अन्य पार्टी पदाधिकारी गण उपस्थित थे। pic.twitter.com/vzCmBqBFjM
— Samrat Choudhary (@SMCHOUOfficial) April 23, 2023
— Vijay Kumar Sinha (@VijayKrSinhaBih) April 23, 2023
HIGHLIGHTS
- 1857 स्वतंत्रता संग्रम के जनक माने जाते हैं वीर कुंवर सिंह
- अंग्रेजों को सैकड़ों बार युद्ध में दी थी मात
- विजयोत्वसव के दिन माननीयों ने किया वीर कुंवर सिंह को याद
- सीएम नीतीश, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अर्पित की श्रद्धांजलि
- बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने भी किया याद
Source : News State Bihar Jharkhand