Bihar News: बिहार के ये लोग मानसून में पहले पलायन के लिए मजबूर, जानिए क्या है वजह

भीषण गर्मी में मानसून जहां लोगों के लिए राहत की बूंद लेकर आता है तो वहीं कटिहार के ग्रामीणों के लिए यही मानसून तबाही की तस्वीर लाता है.

author-image
Jatin Madan
New Update
katihar news

बंगाल और झारखंड जा रहे लोग.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

Advertisment

भीषण गर्मी में मानसून जहां लोगों के लिए राहत की बूंद लेकर आता है तो वहीं कटिहार के ग्रामीणों के लिए यही मानसून तबाही की तस्वीर लाता है. कटिहार जिले के अमदाबाद प्रखंड के बबला गांव में मानसून से पहले लोग पलायन करने को मजबूर हैं. बबला गांव के ग्रामीणों के लिए ये सब नया नहीं है. सालों से इस गांव की यही तस्वीर और ग्रामीणों की यही तकदीर रही है. जहां बारिश के मौसम की दस्तक से पहले ही लोग अपना आशियाना छोड़ कहीं दूर चले जाते हैं ताकि बर्बादी के मंजर के गवाह ना बने. उनकी कमाई, उनकी जमीन, खेती-बाड़ी, घर और गांव सब कुछ पीछे छूट जाता है. जिस आशियाने को बनाने में जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई खर्च कर देते हैं उसे बाढ़ की विभीषिका तबाह कर जाती है. ऐसे में उनके पास पलायन के अलावा कोई और चारा नहीं रहता.

बंगाल और झारखंड जा रहे लोग

यहां के ग्रामीणों के लिए कटाव शब्द ही किसी भयानक सपने से कम नहीं है. कटाव क्षेत्र में आने वाला ये गांव हर साल बाढ़ की चपेट में आता है. जिससे ना जाने कई घर-बार बह जाते हैं. अभी तक गांव के 5 सरकारी स्कूलों को भी बाढ़ ने निगल लिया है, लेकिन अबतक इसके लिए प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. ग्रामीणों की मानें तो बबला गांव के 5 वार्ड में पहले लगभग दस हजार की आबादी थी, लेकिन पलायन के चलते आज यहां की आबादी सिर्फ 7 हजार रह गई है. लोग बाढ़ से बचने के लिए बंगाल और झारखंड पलायन कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें : Bihar Politics: बिहार में धर्म के नाम पर सियासी बयानबाजी, राम मंदिर होगा बड़ा मुद्दा

अधिकारियों की लापरवाही

ऐसा नहीं है कि प्रदेश सरकार ने कटाव रोकने के लिए कोई पहल नहीं की. सरकार ने तो पहल की, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर अधिकारियों ने पहल पर पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कटाव क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण कर लगभग 6 किलोमीटर कटाव स्थल चिन्हित किया था. कुछ दिन पहले कटिहार डीएम ने भी कटाव स्थल का जायजा लिया, लेकिन लोगों को मिला तो सिर्फ आश्वासन. थोड़ा बहुत कटाव रोधी काम हुआ भी, लेकिन बाद में ये सिर्फ लूट-खसोट और उगाही का जरिया बनकर रह गया.

ग्रामीणों की ये है मांग

सरकार के सर्वेक्षण और डीएम के दौरों का ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं मिला है. वो आज भी पलायन का दंश झेलने को मजबूर हैं. ऐसे में लोगों की मांग है कि शासन-प्रशासन बाढ़ से पहले कटाव रोधी काम करे ताकि ग्रामीणों को उनका आशियाना छोड़ कहीं और जाने को मजबूर ना होना पड़े. अमदाबाद प्रखंड हमेशा से ही बाढ़ प्रभावित इलाकों में गिना जाता है, लेकिन ये जानते हुए भी शासन-प्रशासन ने आज तक यहां हालातों को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया. जिसका खामियाजा आज भी यहां की जनता भुगत रही है. ऐसे में सिर्फ उम्मीद ही की जा सकती है कि ग्रामीणों की गुहार अब तो सरकार को सुनाई दे.

रिपोर्ट : शशि कुमार

HIGHLIGHTS

  • मानसून से पहले लोग पलायन करने को मजबूर
  • पलायन के अलावा कोई और चारा नहीं
  • हर साल बाढ़ की चपेट में आता है ये गांव

Source : News State Bihar Jharkhand

Bihar News monsoon Monsoon in Bihar Katihar News bihar rain Katihar News Today
Advertisment
Advertisment
Advertisment