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Dev Uthani Ekadashi 2022: नवंबर से शुरू हो रहा शादियों का सीजन, खूब बजेंगी शहनाइयां

जुलाई माह में देवशयनी एकादशी से श्री हरि विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं.

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Jatin Madan
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फाइल फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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जुलाई माह में देवशयनी एकादशी से श्री हरि विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. उनके योग निद्रा के साथ सभी शुभ और मांगलिक कार्य चार माह के लिए बंद हो जाते हैं. उसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का शयन काल समाप्त होता है और इसी दिन से विवाह और अन्य मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए शुभ समय देखना आवश्यक होता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार देवशयनी एकादशी शुक्रवार 4 नवंबर को है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन इस दिन से भगवान विष्णु अपना कार्यभार संभालते हैं और इसके अगले दिन तुलसी विवाह किया जाता है. इस बार तुलसी विवाह भी 5 नवंबर को है. 

किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त जरूर देखा जाता है. ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से बने शुभ योग में ही शादी, मुंडन, जनेऊ, ग्रह-प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य किए जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जाता है शुभ मुहूर्त में किए गए मांगलिक और शुभ कार्य बिना किसी विघ्न बाधा के संपन्न होते हैं. शादी-विवाह के लिए सबसे ज्यादा शुभ मुहूर्त का ख्याल रखा जाता है. अभी चातुर्मास चल रहे हैं. इस दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. 04 नवंबर को देवउठनी एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु चार माह की निद्रा से जागेंगे, जिसके बाद से मांगलिक कार्यक्रम शुरू जाएंगे. इस साल नवंबर से लेकर अगले साल मार्च तक खूब शहनाइयां बजेंगी.

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नवंबर से शादियों का सीजन शुरू हो रहा है. इस बार शादियों के कम मुहूर्त होने की वजह से बैंक्वेट हॉल, खाने, बैंड आदि के इंतजाम में मशक्कत करनी पड़ रही है. वहीं, कोविड के कारण बीते दो साल में बहुत से लोगों ने शादियां टाली भी, ऐसे में इस बार खूब शहनाइयां बजने वाली हैं. हालांकि महंगाई की मार रौनक को कुछ फीका जरूर कर रही है. दो साल में शादियों का बजट 30 से 35 प्रतिशत बढ़ चुका है. कोविड के बाद यह पहला सीजन होगा, जब शादियों में महामारी और पाबंदियों की खलल नहीं होगी.

बैंक्वेट हॉल, फॉर्म हाउस सब फुल
इस बार नवंबर के पहले हफ्ते में ही देवउठनी एकादशी पड़ रही है, लेकिन शादियों के मुहूर्त नवंबर और दिसंबर में काफी कम हैं. यही वजह है कि राजधानी के ज्यादातर बैंक्वेट हॉल, फॉर्म हाउस आदि में बड़े मुहूर्त पर बुकिंग मिल ही नहीं रही है. जगह के लिए तो परेशानी है ही बैंड बाजे, घोड़ी, कैटरिंग के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. लगभग सभी अब बुक हो चुके हैं. ऐसे में किसी को मनचाहा मंडप नहीं मिल पा रही है तो किसी को बैंड, टेंट या कैटरिंग वाले.

देव उठनी एकादशी पर नहीं है कोई भी मुहूर्त 
देव उठनी एकादशी 4 नवंबर को है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दौरान सूर्य की स्थिति विवाह के लिए उचित नहीं है. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस दौरान वृश्चिक राशि में सूर्य न होने के कारण देव उठने के बाद भी विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं है.

नंवबर 2022 में विवाह के मुहूर्त 
21 नवंबर 2022
24 नवंबर 2022
25 नवंबर 2022
27 नवंबर 2022

दिसंबर 2022 में विवाह के मुहूर्त 
2 दिसंबर 2022
7 दिसंबर 2022
8 दिसंबर 2022
9 दिसंबर 2022
14 दिसंबर 2022 

जनवरी 2023 शादी मुहूर्त
15 जनवरी, 2023
18 जनवरी, 2023
25 जनवरी, 2023 
26 जनवरी, 2023 
27 जनवरी, 2023
30 जनवरी, 2023
31 जनवरी, 2023

फरवरी 2023 शादी मुहूर्त
6 फरवरी, 2023
7 फरवरी, 2023
9 फरवरी, 2023
10 फरवरी, 2023
12 फरवरी, 2023
13 फरवरी, 2023
14 फरवरी, 2023
22 फरवरी, 2023
23 फरवरी, 2023
28 फरवरी, 2023

मार्च 2023 शादी मुहूर्त 
6 मार्च, 2023
9 मार्च, 2023
11 मार्च, 2023 
13 मार्च, 2023

देवोत्थान एकादशी पर शुभ कार्य 
कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी दीपावली के बाद आती है. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं, इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है. कहते हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह शयन के बाद जागते हैं. भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, इसीलिए देवोत्थान एकादशी पर श्री हरि के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं. इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है.

HIGHLIGHTS

.नवंबर से बजेंगी शादी की शहनाइयां
.2 साल बाद बिना पाबंदियां बजेंगी शहनाई
.देव उठनी एकादशी पर नहीं है कोई भी मुहूर्त 

Source : News State Bihar Jharkhand

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