बिहार में प्रवासी श्रमिकों का हमदर्द कौन? चुनावी दौर में मदद के नाम पर सियासत

नीतीश कुमार ने दूसरे राज्यों को खरी खोटी सुनाई तो दूसरे राज्य की सरकार अपने अंदाज में जवाब देने में जुट गई है. बिहार में राजनीति ने रंग पकड़ा, जिसके केंद्र में बेखबर बिहारी श्रमिक हैं.

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Dalchand Kumar
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प्रवासी श्रमिकों का हमदर्द कौन? चुनावी दौर में मदद के नाम पर सियासत( Photo Credit : फाइल फोटो)

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बिहार (Bihar) में साल चुनावी है सो प्रवासी श्रमिक तो चर्चा के केन्द्र में आने ही थे. अब जब श्रमिकों का हमदर्द बनने की होड़ ऐसी लगी हो कि नेता उन्हें हवाई जहाज से सफर करा रहे हैं और ऐसे में तो सियासी बवाल तो मचना ही था. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने दूसरे राज्यों को खरी खोटी सुनाई तो दूसरे राज्य की सरकार अपने अंदाज में जवाब देने में जुट गई है. बिहार में राजनीति ने रंग पकड़ा, जिसके केंद्र में बेखबर बिहारी श्रमिक हैं. बस से शुरु हुई बहस हवाई जहाज तक जा पहुंची है. लॉकडाउन (Lockdown) के शुरुआती दौर में प्रवासी श्रमिकों को बस से घर पहुंचाने पर बहस चल रही थी. अब जब ट्रेन से श्रमिक बड़ी तादाद में एक जगह से दूसरे जगह पहुंचने लगे तो होड़ में हवाई जहाज ने एंट्री मार दी.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरू में लॉकडाउन के प्रावधान का हवाला दे छात्रों और श्रमिकों को नहीं बुलाया. अब वो स्वागत में दोनों हाथ फैला कर रहे हैं. इतना ही नहीं, इन्हें अब बिहार में ही बसाने का दावा भी कर रहे हैं. नीतीश कुमार का दावा है कि जब से लॉकडाउन घोषित हुआ, तब से 8538 करोड 12 लाख खर्च किया है. जो बाहर से आ रहे हैं, उनको भी 500 रुपया दिया. नीतीश कुमार को इस बात का दुख है कि बिहार के लोग दूसरे राज्य में सेवा करने गए और उनका ध्यान नहीं रखा गया, ये अच्छी बात नहीं है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इन दावों के बीच हंगामा तब मचा, जब एक बार फिर से बिहार की राजनीति में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप की एंट्री हुई. मई के शुरुआत में रेल भाड़े को लेकर बिहार और दिल्ली सरकार आमने सामने थी. मगर इस बार तो बात हवाओं के बीच पहुंची. बुधवार की रात आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह अपने कोटे के हवाई जहाज के टिकट से 33 प्रवासी मजदूरों को लेकर पटना एयरपोर्ट पहुंचे. सांसद संजय सिंह ने कहा की केंद्र और राज्य की सरकार कुछ कर नहीं रही, सो मेरे पास जो भी कोटे में टिकट था, उससे मजदूरों को लेकर में आ गया. उन्होंने कहा कि हमसे जो बन पड़ रहा है, वो कर रहे हैं. हालांकि इस दौरान संजय सिंह के निशाने पर नीतीश कुमार की सरकार ज्यादा रही.

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खास बात ये है कि इनके इस हवाई स्टंट को बिहार के मुख्य विपक्षी दल राजद का साथ मिल रहा है. अब राजद के प्रवक्ता मृत्युन्जय तिवारी कह रहे हैं कि सरकार नाकाम रही तो आप पार्टी ने आईना दिखाया. इसमें गलत क्या है. जदयू का तो मतलब ही है झूठा दावा अनलिमिटेड. इन बातों से नीतीश कुमार की पार्टी की त्योरियां चढ़ी हैं. सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा है कि आप पार्टी के नेताओं को छ्पास का रोग लगा है. 20 लाख से ज्यादा प्रवासियों को हम ट्रेन से लाए, उन्हें क्यों नहीं लाए. दिल्ली के निर्माण में बिहार के लोगों की बड़ी भूमिका है. गुनाह कबूल करें ये लोग. दो वक्त की रोटी तक ना दे सके. उन्होंने कहा कि अगर संजय सिंह को बहुत पीड़ा थी तो क्यों नहीं आपदा काल में अपने पास रख सके. नैतिकता भी तो शासन में रहने का हक नहीं है. दिल्ली के लोगों को शराब पिलाकर कोविड का इलाज खोज रहे हैं और हमसे बात करेंगे. जिन्होंने गांधी के शराबबन्दी के सपनों को सच कर कोविड का मुकाबला किया है.

तो अब प्रवासी श्रमिकों को लेकर रण क्षेत्र तैयार है और ये भी तय है अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी यानी चुनाव तक इसकी शोर सुनाई देगी. गौरतलब है कि बिहार में इस साल के आखिरी में विधानसभा के चुनाव होने हैं. कोरोना संकट और लॉकडाउन में कोई मुद्दा न मिला तो राजनेताओं ने घर बैठे प्रवासी मजदूरों की मजबूरी को ही मुद्दा बना डाला. मदद के बहाने राजनीतिक दलों ने प्रवासी मजदूरों की समस्याओं पर कम, अपने वोटबैंक पर ज्यादा ध्यान में रखा.

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Nitish Kumar Bihar Patna Sanjay Singh Bihar Migrant Workers
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