बिहार की राजधानी पटना सियासी रसूखदारों का केंद्र है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था में फिसड्डी है. यहां दिन के उजाले में जेठुली गांव की सड़कों पर मौत का तांडव होता रहा और पुलिस तमाशबीन बनी रही. 3 लोगों की मौत हो गई और पुलिस तमाशबीन बनी रही. दबंगों के कहर ने परिवार के चिराग को बुझा दिया और पुलिस तमाशबीन बनी रही. राजधानी पटना में रविवार को हुई हिंसा की आग की तपिश अभी भी इलाके को सुलगा रही है. जेठूली गांव की सड़कों पर मौत का ऐसा तांडव हुआ कि इस खूनी खेल में अब तक 3 लोगों की मौत हो गई. कुछ जिंदगियां अभी भी अस्पताल में मौत से जंग लड़ रही है. ऐसे में न्यूज़ स्टेट बिहार-झारखंड की टीम ने ग्राउंड पर पहुंचकर इस वारदात के चश्मदीदों की जुबानी ही खुनी खेल की कहानी जानने की कोशिश की.
क्यों नहीं लिया पुलिस ने एक्शन?
मृतकों के परिजनों का आरोप है कि हत्या का आरोपी बच्चा राय और उमेश राय की इलाके में तूती बोलती है. पुलिस प्रशासन उसके आगे नतमस्तक रहते हैं और उसके सभी अवैध धंधों जैसे शराब का कारोबार, बालू का अवैध धंधा और गांजा तस्करी जैसी वारदातों में उसका साथ देते हैं. यही वजह है कि पुलिस ने कभी उन पर एक्शन नहीं लिया. इस वारदात ने पुलिस प्रशासन पर भी सवाल खड़े किए हैं. परिजनों की मानें तो पुलिस की मौजूदगी में 50 राउंड गोलीबारी हुई. पुलिस के सामने ही 5 लोगों को गोली लगी, लेकिन पुलिस तमाशबीन बनी रही.
जमीन कब्जाने की नियत
घटना की शुरुआती जांच में यही निकल कर सामने आया है कि गाड़ी निकालने के विवाद में ये पूरी घटना हुई. हालांकि जिस तरीके से ट्रकों को लगाया गया था और उनसे गिट्टी अनलोड की जा रही थी उसको देखकर साफ लगता है कि यहां पर जमीन कब्जा की नियत से ही बच्चा राय और उसके समर्थक पहुंचे थे और विवाद करना ही उनका मकसद था. मुनारीक राए के बेटे ने एक-एक कर पूरे घटना की आंखों देखी हमें सुनाई.
आरोपियों की फांसी की मांग
इसके बाद हमारी टीम में घटना में मृतक मुनारिक राय के घर पहुंची. जहां का माहौल बेहद गमगीन था. घर की महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है. पूरा परिवार अभी भी सहमा हुआ है क्योंकि गोलीबारी में घायल चनारी राय अभी भी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. ऐसे में महिलाओं की बस एक ही मांग है कि सभी आरोपियों को फांसी की सजा दी जाए. हालांकि पीड़ित परिवारों में अभी भी आरोपी दबंग परिवार का खौफ है. क्योंकि आरोपियों के समर्थक उन्हें धमकी दे रहे हैं. इतनी बड़ी घटना हो गई है, लेकिन कोई नेता इनकी सुधि लेने नहीं पहुंचा, लेकिन फिर भी परिवार को उम्मीद है कि प्रशासन कोई पहल करेगा और इस परिवार को कुछ मदद मिलेगी.
पुलिस-प्रशासन पर उठे सवाल
इस पूरे वारदात ने आरोपियों से ज्यादा पुलिस-प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. एक-एक चश्मदीद पुलिस पर सवाल उठा रहा है. हालांकि इस सब के बीच अब इलाके में हालात सामान्य हो रहे हैं. पुलिस भी इलाके में लगातार पेट्रोलिंग कर रही है ताकि उपद्रवियों पर नकेल कसी जा सके.
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HIGHLIGHTS
- हिंसा की आग में क्यों जला जेठुली?
- बेखौफ दबंगों के आगे क्यों बेबस हुई खाकी?
- क्या दबंगों को मिला था पुलिस का संरक्षण?
- दबंगों के डर से क्यों भागी बिहार पुलिस?
- ग्राउंड जीरो से जानिए हिंसा के पीछे की हकीकत
Source : News State Bihar Jharkhand