Advertisment

Dhanteras 2023: धनतेरस पर इस विधि से करें कुबेर महाराज की पूजा, जानें क्या है धन्वंतरि देव की कहानी

देश में हर तरफ दिवाली के त्योहार को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. बाजार सज गए हैं, अब लोग धनतेरस की तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर भगवान कुबेर की पूजा करने से विशेष फल मिलता है.

author-image
Ritu Sharma
एडिट
New Update
Dhanteras 2023 bhagwaan kuber

धनतेरस 2023( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

Advertisment

Dhanteras 2023: देश में हर तरफ दिवाली के त्योहार को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. बाजार सज गए हैं, अब लोग धनतेरस की तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर भगवान कुबेर की पूजा करने से विशेष फल मिलता है. बता दें कि हिंदू धर्म में भगवान कुबेर का बहुत महत्व है. हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को भगवान विष्णु के अवतार और देवताओं के चिकित्सक भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने का त्योहार मनाया जाता है. यह पर्व प्रदोष व्यापिनी तिथि को मनाने की परंपरा है. सनातन धर्म में धनतेरस से ही दिवाली का त्योहार शुरू हो जाता है. बता दें कि दिवाली के दिन से देवी-देवताओं की विधिपूर्वक और श्रद्धापूर्वक पूजा करने से घर में सुख, शांति, वैभव और समृद्धि आती है. वहीं मां लक्ष्मी धन और वैभव की देवी हैं, इनकी कृपा से रंक भी राजा बन जाता है, लेकिन धनतेरस और दिवाली पर कुबेर की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. बता दें कि लोग लक्ष्मी-गणेश के साथ-साथ कुबेर या कुबेर यंत्र की भी विधिपूर्वक पूजा करते हैं, लेकिन ऐसे में क्या आप जानते हैं कि धनतेरस और दिवाली पर कुबेर की पूजा क्यों की जाती है ? धन प्राप्ति के लिए कुबेर मंत्र का कैसे उपयोग करते हैं ? चलिए आपको बताते हैं..

यह भी पढ़ें: Diwali 2023: आपके घर में रोशनी फैलाने को बेकरार हैं कुम्हार, दिवाली पर जरूर खरीदें मिट्टी के दीये 

पंचोपचार पूजा विधि से मिलेगा विशेष फल

आपको बता दें कि धनतेरस पर भगवन कुबेर की पूजा के लिए पंचोपचार विधि को अपनाएं. पंचोपचार पूजा विधि से कुबेर की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी. पूजा के लिए पांच चरणों को महत्वपूर्ण माना जाता है. पूजा में सबसे पहले आचमन, फिर ध्यान, फिर जप, इसके बाद अग्नि आहुति और अंत में आरती करने की विधि होती है. वहीं पंचोपचार विधि से पूजा करने पर भगवान कुबेर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा पूजा में कुबेर देव को चंदन, धूप, फूल, दीप, नैवेद्य और भोग आदि चढ़ाएं और इसके साथ ही कुबेर देव के विशेष मंत्रों का जाप भी करें और पूजा के अंत में क्षमा मांगनी चाहिए, जिसके बाद आपको विशेष फल की प्राप्ति होती है.

भगवान कुबेर की पूजा में जरूर रखें ये सामग्री

  • ''माता लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर की नई मूर्ति या तस्वीर और नए वस्त्र चाहें तो श्री यंत्र, कुबेर यंत्र का भी पूजा में उपयोग कर सकते हैं.
  • मूर्ति स्थापना के लिए चौकी, अक्षत्, हल्दी, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान का पत्ता, पंच पल्लव.
  • कमलगट्टा, धनिया खड़ा, कमल और लाल गुलाब का फूल, माला, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, दूर्वा, कुश, पंच मेवा.
  • दही, दूध, फल, शहद, गंगाजल, शक्कर, शुद्ध घी, नैवेद्य, मिष्ठाई.
  • गुलाल, कपूर, यज्ञोपवीत, कुमकुम, रुई की बत्ती, दीपक, धूप, गंध, इलायची (छोटी), लौंग, रक्षासूत्र, इत्र, कुश का आसन,
  • चांदी या सोन का सिक्का, श्रीफल या नारियल, कलमख् बहीखाता आदि.''
  • भगवान कुबेर की पूजा में इस मंत्र का करें प्रयोग 

आपको बता दें कि कुबेर देव की पूजा तब तक सफल नहीं मानी जाती है जब तक कि उनकी पूजा में मंत्र का जाप न किया जाए, लेकिन ध्यान रखें कि पूजा में कुबेर मंत्र का जाप करते समय उसका उच्चारण सही होना चाहिए.

मंत्र 

''यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा।''

धनतेरस-दिवाली पर भगवान कुबेर की पूजा से मिलता खास फल

आपको बता दें कि धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ''कुबेर को देवताओं के धन का कोषाध्यक्ष कहा जाता है और वह धनवान भी हैं. उसके पास धन का अक्षय भंडार है, जो कभी खत्म नहीं होता. वह धन के रक्षक भी हैं. बता दें कि इनकी पूजा करने से धन स्थाई हो जाता है, कभी भी इसकी कमी नहीं होती है, वहीं देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं, लेकिन वह चंचल हैं और लंबे समय तक एक स्थान पर स्थिर नहीं रहती हैं. इसी वजह से लोग धनतेरस और दिवाली पर कुबेर की पूजा करते हैं, ताकि उनका अर्जित धन कम न हो, बढ़े और सुरक्षित रहे और कुबेर की कृपा से धन सुरक्षित रहेगा.

छठां कुबेर मंदिर 

आपको बता दें कि यह देश का छठा कुबेर मंदिर है. यहां भगवान कुबेर एकमुखी शिवलिंग में विराजमान हैं. वहीं के पुजारियों का कहना है कि, ''यह देश का सबसे पुराना कुबेर मंदिर है. यहां भगवान कुबेर की पूजा भगवान शिव के रूप में की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि जिस पर भगवान कुबेर की कृपा होती है उसके पास कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है.'' बता दें कि इस मंदिर में हमेशा भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है, खासकर धनतेरस और दिवाली के दिन लोग भगवान कुबेर के इस मंदिर में आते हैं और अपने धन-संपत्ति के लिए प्रार्थना करते हैं.

publive-image

यह है इस मंदिर का इतिहास 

इसके साथ ही आपको बता दें कि, उत्तराखंड के अल्‍मोड़ा में स्थित इस कुबेर मंदिर का इतिहास भी इस मंदिर की तरह ही दिलचस्प और खास है. वहां के रहने वाले कुछ लोगों का मानना ​​है कि, इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था. वहीं कुछ लोगों का ये भी मानना ​​है कि, इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था,  वहीं कुछ लोग ये भी कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं से 14वीं शताब्दी के बीच कत्यूरी राजवंश के दौरान हुआ था. इसलिए इस मंदिर का सही स्थान अभी तक सामने नहीं आ सका है, यह मंदिर आज तक एक रहस्य बना हुआ है, लेकिन जो भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में जाकर भगवान से अपनी मनोकामना मांगते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

publive-image

सुख-समृद्धि के लिए करते हैं भगवान कुबेर की पूजा

इसके साथ ही आपको बता दें कि, धन के देवता कुबेर को आसुरी शक्तियों का हरण करने वाला देवता भी माना गया है. इस दिन शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर यंत्र स्थापित करें, उस पर गंगा जल छिड़कें, रोली, चावल से तिलक करें, फूल चढ़ाएं, दीपक जलाएं और भोग लगाएं और इस मंत्र का जाप करें.

HIGHLIGHTS

  • धनतेरस पर क्यों की जाती है भगवान कुबेर की पूजा 
  • जानें क्या है धन्वंतरि देव की कहानी 
  • पंचोपचार पूजा विधि से मिलेगा विशेष फल

Source : News State Bihar Jharkhand

Patna News Patna Breaking News Dhanteras 2023 dhanteras 2023 shubh muhurat dhanteras 2023 date and time Diwali Shopping dhanteras 2023 date famous markets of delhi for diwali shopping jageshwar dham kuber mandir kuber temple jageshwar dham
Advertisment
Advertisment
Advertisment