बिहार की राजधानी में पिछले महीने हुए रूपेश सिंह हत्याकांड की गुत्थी को भले ही पटना पुलिस ने सुलझा लिया है, मगर अब अपनी लिखी स्क्रिप्ट में ही पुलिस खुद उलझ कर रह गई है. पुलिस सवालों के कटघरे में खड़ी है कि आखिर किसको बचाने की कोशिश हो रही. हत्या का कारण रोडरेज या कुछ और...आरोपी ऋतुराज क्या रूपेश को मारने की किसी बड़े साजिश का हथियार बना है. पटना के बहुचर्चित रूपेश सिंह हत्याकांड में पटना पुलिस ने जो कहानी मीडिया के सामने परोसी उस पर ना तो मृतक के परिजनों को और ना ही रूपेश को जानने वालों को भरोसा है. रूपेश के परिजनों ने पुलिस की कहानी को सिरे से नकार दिया है. रूपेश की पत्नी की मानें तो पुलिस जो कहानी सुना रही है, उससे लगता है कि किसी को बचाने की कोशिश की जा रही है.
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पुलिस की कहानी में कई पेंच हैं
पुलिस की कहानी के अनुसार, 29 नवंबर को रूपेश सिंह की गाड़ी का हत्यारे की बाइक के साथ एक्सीडेंट हुआ. उसके बाद रूपेश ने बाइक चलाने वाले को जमकर पीटा. उसी पिटाई का बदला लेने के लिए रुपेश की हत्या कर दी गई. एसएसपी ने कहा कि रूपेश के परिजनों ने उन्हें बताया था कि एक्सीडेंट के उस वाकये के बाद रूपेश की गाड़ी का पीछा किया गया था. मगर रूपेश के परिजनों ने एसएसपी के बयानों का खंडन किया है. रूपेश के परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि रूपेश की गाड़ी का ऐसा कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ था.
परिजनों के अनुसार, रूपेश की गाडी में किसी ने पीछे से धक्का मारा था. जब तक रूपेश गाड़ी से उतरते तब तक धक्का मारने वाला भाग चुका था. रूपेश ने उसे सही से देखा तक नहीं था. रूपेश की गाड़ी का किसी ने पीछा नहीं किया था. रूपेश की पत्नी ने आरोप लगाया कि उन्होंने पुलिस को कभी नहीं बताया कि रूपेश ने एक्सीडेंट के बाद मारपीट की थी और किसी ने उनका पीछा किया था. वहीं रूपेश को जानने वालों की मानें तो उनका व्यवहार किसी के साथ मारपीट करने वाला नहीं था. आज तक ऐसा कोई वाकया सामने नहीं आया, जिसमें रूपेश ने किसी के साथ मारपीट की हो.
जहां रोड रेज की घटना हुई. पुलिस ने वहां के सीसीटीवी फुटेज होने से इनकार किया. इनका कहना है कि वो सीसीटीवी के रेंज में नहीं है, जबकि वहां से 50 मीटर पर पटेल गोलम्बर पर 3 सीसीटीवी लगे हैं. पटना के सबसे हाई प्रोफाइल जंक्शन, मुख्यमंत्री आवास और राजभवन से 500 मीटर से कम की दूरी. एयरपोर्ट जाने को हर किसी को उस चौक से गुजरना होता है. फिर सीसीटीवी फेल कैसे और पुलिस ने क्यों कहा कि वो सीसीटीवी रेंज से बाहर है. इससे भी कई सवाल खड़े हुए हैं.
उधर, कथित तौर पर रोडरेज के करीब 50 दिन बाद रूपेश की हत्या ऋतुराज करता है. वो लगातार रेकी करता था और उसका पीछा करता था. सवाल ये कि पुलिस कह रही है कि वो रूपेश के प्रोफ़ाइल को नहीं जानता था. ऋतुराज पढ़ा लिखा प्रोफेशनल था. जिसके पीछे वो लगा है, वो व्यक्ति यूनिफार्म में आता था. रूट तय था. फिर उसे कैसे नहीं पता था कि वो किसे मारने जा रहा है. पुलिस के अनुसार, वो राजवंशी नगर से रूपेश को ट्रेक करता था, वो भी शाम के वक़्त. उसके सिर पर जुनून ऐसा की रोडरेज के कारण वो जान लेना चाहता था.
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लेकिन जो इस जुनून में हो वो क्या कभी सुबह उसे ट्रेक नहीं करता होगा. सारा काम छोड़ शाम को उसके लौटने का इंतज़ार एक चौक पर करता होगा और फिर उसी जगह से प्लानिंग करता था. ये बात समझ के परे है. इसके अलावा जिस सड़क से हत्यारों ने रूपेश की हत्या का प्लाट बनाया, वो पुनाईचक मोड़ है. जिस इलाके में रूपेश रहता था. वो भीड़भाड़ वाला इलाका. जहां पुलिस का दावा है कि 4 बार ऋतुराज ने हत्या की कोशिश की. लेकिन जो व्यक्ति इतना बड़ा जोखिम ले रहा हो, उसका कारण इतना साधारण नहीं हो सकता, जो रूपेश के परिवार का भी दावा है.
पुलिस के अनुसार, मर्डर की कहानी
पुलिस की मानें तो रूपेश का मर्डर करने वाला ऋतुराज का पुलिस में पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. वह गाड़ी चुराता था. लेकिन उसका भी कोई केस दर्ज नहीं है. फिर भी उसने चार साथियों के साथ मिलकर रूपेश की हत्या करने की चार बार कोशिश की. चार बार असफल रहने के बाद उसने पांचवी कोशिश में रूपेश को मार डाला. अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि रूपेश को जिस तरीके से मारा गया, उसमें प्रोफेशनल किलर द्वारा हत्या को अंजाम देने की बात साफ थी. रूपेश पर चलाई गईं सारी गोलियां उनके सीने में लगी थी. कोई भी गोली ना तो रूपेश के शरीर के किसी दूसरे हिस्से में और ना ही उस गाड़ी में जिस में रूपेश तब बैठे थे, जब उनकी हत्या हुई.
अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या पहली बार हत्या करने वाले किसी व्यक्ति का इतना सटीक निशाना कैसे हो सकता है. रोडरेज का बदला लेने के लिए कोई किसी के सीने में इतनी गोलियां कैसे उतार सकता है. इसके अलावा पुलिस की मानें तो हत्यारा ऋतुराज रामकृष्णानगर इलाके से हत्या करने निकला था. जब वह हत्या करने निकला था तो उसकी अपाची बाइक पर एक फर्जी नंबर प्लेट लगाया गया था. लेकिन जब उसने हत्याकांड को अंजाम दिया तो उसने बाइक पर एक और फर्जी नंबर प्लेट लगा लिया. अब सवाल ये उठता है कि जब कथित हत्यारा गाड़ी पर फर्जी नंबर प्लेट लगा कर ही निकला था तो उसने फिर से एक और नंबर प्लेट क्यों बदला.
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नंबर प्लेट बदलने की नौबत तब आती जब पहले उस पर सही नंबर प्लेट लगा होता. पुलिस के अनुसार, घर से निकल कर हत्यारा ऋतुराज चार घंटे तक पुनाईचक इलाके में रेकी कर रहा था. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या कोई सार्वजनिक जगह पर अपनी गाड़ी का नंबर प्लेट बदल सकता है. पुलिस कह रही है कि उसने सारे नंबर प्लेट अपने घर में रखा था, जिसे पुलिस ने बरामद भी कर लिया है. यानि जो अपराधी इतना शातिर हो वो सारे सबूतों को अपने घर में कैसे रख सकता है.
मसलन पुलिस की कहानी में एक और ट्वीस्ट ये है कि हत्यारे का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. लेकिन वह हथियारों का शौकीन था. कथित हत्यारा ऋतुराज अच्छे परिवार से है, लेकिन वह बाइक चुराता था. उसने पहले से पिस्टल ले रखी थी. उसी पिस्टल से उसने मर्डर किया. अब सवाल ये उठता है कि पुलिस ये नहीं बात पा रही है कि ऋतुराज के पास पिस्टल आया कहां से. उसने पिस्टल किससे, कहां से और कितने में खरीदी थी. पुलिस की कहानी में एक और पेंच ये है कि रूपेश सिंह की हत्या के दिन कथित हत्यारा ऋतुराज घर से बैग में कपड़ा लेकर निकला था. ताकि मर्डर के बाद उसे बदला जा सके.
उसने अपना मोबाइल नंबर हत्या के दिन डेढ़ बजे की स्वीच ऑफ कर लिया था, जिसे अगले दिन कुछ देर के लिए खोला. यानि कथित हत्यारा ये जानता था कि उसे फोन से ट्रेस किया जा सकता है. हत्यारा ये भी जानता था कि मर्डर के बाद उसे कपड़ा बदलना होगा. लेकिन हत्या करने के बाद वह ऑटो पकड़ कर अपने घर में वापस सोने चला गया. सवाल ये भी उठता है कि क्या जिसका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं हो, जिसे पुलिस मामूली गाड़ी चोर बता रही है, उसे पुलिस के इंवेस्टीगेशन के सारे फॉर्मूले की इतनी जानकारी कैसे हो सकती है. जो इतना शातिर होगा, वह मर्डर के बाद अपने घर में सोने चला जाएगा. जो घर से कपड़े लेकर निकलेगा कि मर्डर के बाद कपड़ा बदलना है, वह सारा कपड़ा अपने घर में क्यों रखेगा.
पुलिस की कहानी का एक और एंगल ये है कि मर्डर के अगले दिन कथित हत्यारा ऋतुराज रांची भाग गया. लेकिन कुछ दिनों में वह वापस लौट भी आया. तभी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. अब सवाल ये है कि जब हत्यारा इतना शातिर था तो वह रांची से लौट कर क्यों आया. पुलिस ने आज अपने घेरे में ऋतुराज को मीडिया के सामने पेश किया था. मीडिया ने उससे पूछा कि वह रांची से क्यों लौट आया. उसने कहा कि बस ऐसे ही रांची से लौट आये थे.
रूपेश सिंह हत्याकांड में पुलिस की कहानी खुद पर हीं कई सवालिया निशान लगा रही हैं. पटना के एसएसपी ने जो कहानी मीडिया के सामने परोसी, उस कहानी में ही कई सवाल खुद के रचे स्क्रिप्ट पर पुलिस ने खुद के लिए कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस ने जब मीडिया के सामने कथित हत्यारे ऋतुराज को पेश किया तो उसके सूजे हाथ पैर दिख रहे थे. जहां प्रेस कॉन्फ्रेंस हो रही थी, उसके बाहर एक पुलिसवाले की निजी गाड़ी में ऋतुराज के पिता को भी बैठे लोगों ने देखा. ऋतुराज के पिता के हाथ पैर से लेकर पूरा शरीर जिस हाल में था, वह कई कहानियां खुद ब खुद बता रहा था.
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इतना ही नहीं, ऋतुराज के बयानों में भी कई पेंच थे. जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पुलिस ने रूपेश के कथित हत्यारे ऋतुराज को पेश किया. सादे कपड़े में पुलिस वालों के घेरे में ऋतुराज से मीडिया ने घटना के बारे में सवाल पूछना शुरू किया. उसने हर सवाल का जवाब अलग-अलग दिया. पटना के एसएसपी कह रहे थे कि जब एक्सीडेंट हुआ था, तब से ही ऋतुराज को रूपेश सिंह की गाडी का नंबर याद था. जब मीडिया ने पूछा तो ऋतुराज ने पहले कहा कि उसे गाड़ी का नंबर याद नहीं. फिर पुलिस वाले बोले कि गाड़ी का नंबर बताओ. कुछ देर बाद ऋतुराज ने गाड़ी का नंबर बताया.
फिर मीडिया ने ऋतुराज से पूछा कि कितनी गोलियां मारी थीं. उसने पहले कहा- सात. कुछ देर बाद बोला- चार-पांच गोलियां मारी थी. मीडिया ने जब पूछा कि क्या उसके दोस्तों ने भी रूपेश सिंह पर गोली चलायी थी. ऋतुराज बोला- उसे कुछ पता नहीं. हड़बड़ी में पता नहीं चला. हैरानी की बात ये है कि हत्या के दौरान जिस हड़बड़ी का जिक्र वह कर रहा था, उसी हड़बड़ी में उसने सारी की सारी गोली रूपेश के ठीक सीने में उतार दी थीं. ऐसी जगह पर जहां गोली लगने के बाद किसी का बचना संभव नहीं था.
मीडिया के सवालों का कथित हत्यारा बार-बार अलग जवाब दे रहा था. मीडियाकर्मी उससे पूछ रहे थे कि वह सही जवाब क्यों नहीं दे रहा था. बाद में कथित हत्यारे रितुराज ने कहा-जो सर यानि एसएसपी कह रहे हैं वह सब सही है. वही बात सही है. दिलचस्प बात ये है कि जब सर यानि एसएसपी मीडिया को हत्या की कहानी सुना रहे थे, तब ऋतुराज वहां नहीं था. उसे बाद में लाया गया था. लेकिन उसे मालूम था कि जो एसएसपी कह रहे हैं वह सब सही है. ऋतुराज के इस अंतिम बयान ने पुलिस की कलाई खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अपने लिखे स्क्रिप्ट में खुद पटना पुलिस उलझ गई.
HIGHLIGHTS
- रूपेश हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने का दावा
- पुलिस की पूरी कहानी में कई पेंच
- अपनी लिखी स्क्रिप्ट में ही खुद उलझी पुलिस
Source : News Nation Bureau