बिहार के एडीजे अविनाश कुमार प्रथम ने बेल पिटीशन सुनवाई के दौरान महिलाओं के सम्मान की सीख देने वाली सशर्त जमानत दी है. जमानत पर रिहा होने वाले युवक गांव की सभी महिलाओं के कपड़े साफ करेंगे और आयरन कर उन्हें वापस लौटाएंगे. यह सेवा लगातार छह महीने तक मुफ्त में देनी है. हिरासत में 19 अप्रैल 2021 से बंद रहने वाले 20 वर्षीय युवक ललन कुमार साफी जो पेशे से धोबी हैं, उन्हें उन्हीं के पेशे से जुड़े काम को मुफ्त में करने की शर्त दी गई है. उक्त युवक लौकहा थाना कांड संख्या 130/ 2021 में 19 अप्रैल को हिरासत में लिए गए थे. घटना 17 अप्रैल के रात की है.
आरोप था कि वह गांव की एक महिला के साथ अभद्र व्यवहार किया था और दुष्कर्म का भी प्रयास किया था. सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि उनका मुवक्किल मात्र 20 वर्ष का है. पुलिस की जांच पूरी हो चुकी है. चार्जशीट जमा किया जा चुका है और दोनों पक्षों के बीच समझौता पिटिशन भी दे दिया गया है. इसके अनुसार उक्त महिला अब आगे के केस को प्रोसीड नहीं करना चाहती है.
अधिवक्ता का कहना था कि उनका मुवक्किल धोबी है और अपने पेशे से समाज की सेवा करना चाहता है. सुनवाई कर रहे एडीजे ने महिला के अपमान से जुड़े मामला को देखते हुए गांव के सभी महिलाओं के वस्त्र को साफ कर आयरन करने की शर्त पर रेगुलर बेल दी है, जिसमें 10 हजार के दो जमानतदार के अलावा उक्त शर्त को पूरा करते हुए अपने गांव के मुखिया या सरपंच अथवा किसी भी सम्मानित सरकारी कर्मी से 6 महीना तक मुफ्त सेवा करने का प्रमाण पत्र लेकर कोर्ट में समर्पित करने का निर्देश दिया है. जमानत की कॉपी गांव के सरपंच और मुखिया को भी भेजे जाने की बात कही है, ताकि जमानत पर रिहा होने वाले युवक गांव में फ्री सेवा दे रहे हैं या नहीं इस पर नजर रखेंगे.
Source : प्रशांत झा