अपनी राजनीतिक हलचलों को लेकर बिहार अकसर चर्चाओं में बना रहता है. बिहार की राजनीति देश की राजनीति में अहम भूमिका अदा करती है. वहीं, साल 2023 में जातीय गणना और आर्थिक जातीय आधारित गणना से लेकर स्कूलों की छुट्टी का नया कैलेंडर व आरक्षण को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी किया जाना, सुर्खियों में बना रहा. आपको बता दें कि आगामी चुनाव से पहले बिहार में कई बड़े फैसले लिए गए. आइए जानते हैं उन अहम मुद्दों के बारे में जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा-
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1. जातीय आधारित गणना की रिपोर्ट के बाद बढ़ा रिजर्वेशन कोटा
बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर, 2023 में जातीय आधारित गणना की रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में जाति के आधारित में राज्य में उनकी आबादी बताई गई. बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है. वहीं सामान्य वर्ग 15.52 फीसदी, पिछड़ा वर्ग 27.12 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी, अनुसूचित जाति 19.65 फीसदी और अनुसूचित जनजाति 1.68 फीसदी है. वहीं, जातीय आधारित आबादी के अनुसार बिहार में हिंदू 81.99 फीसदी, मुस्लिम 17.70 फीसदी, ईसाई .05 फीसदी, सिख .01 फीसदी और बौद्ध .08 फीसदी है.
जाति आधारित आबादी की बात करें तो ब्राह्मण 3.67 फीसदी, राजपूत 3.45 फीसदी, भूमिहार 2.89 फीसदी, यादव 14.26 फीसदी, कुशवाहा 4.27 फीसदी, कुरमी 2.87 फीसदी, मल्लाह 2.60 फीसदी, तेली 2.81 फीसदी हैं. वहीं जातीय और आर्थिक सर्वेक्षण के बाद बिहार सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान आरक्षित वर्गों के लिए आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया, जो काफी चर्चा में बना रहा. विपक्ष ने भी सरकार के इस फैसले में अपनी सहमति जताई.
2. नीतीश का साथ छोड़ अलग हुए उपेंद्र कुशवाहा और मांझी
2022 में नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ राजद और कई पार्टियों के साथ मिलकर राज्य में महागठबंधन की सरकार बनाई. वहीं, नीतीश के करीबी पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने उनका साथ छोड़ दिया. जहां उपेंद्र कुशवाहा ने 20 फरवरी को जदयू के एमएलसी के पद से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बनाई. इस बीच जीतन राम मांझी भाजपा के करीबी नजर आ रहे हैं.
3. 2024 के सरकारी स्कूल कैलेंडर पर विवाद
29 नवंबर, 2023 में बिहार के सरकारी स्कूल का कैलेंडर जारी किया गया. कैलेंडर जारी करते ही इसे लेकर विवाद शुरू हो गया, जहां एक ओर राखी, गोवर्धन पूजा की छुट्टियां रद्द कर दी गई और वहीं कई हिंदू पर्व की छुट्टियों में कटौती की गई थी. वहीं, ईद, बकरीद की छुट्टियों में इजाफा किया गया था. जिसे लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार पर काफी हमला किया था, लेकिन बाद में इस कैलेंडर को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया गया था और बताया गया था कि कैसे हिंदू और मुस्लिम धर्म के लिए फिलहाल अलग-अलग कैलेंडर बनाया गया है और इसे अभी लागू नहीं किया गया है. वहीं, कुछ छुट्टियों को लेकर गलती हुई है जिसमें संशोधन किया जा सकता है.
4. बिहार में करीब 31 हजार करोड़ का निवेश
बिहार की राजधानी पटना में दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया था. जिसमें राज्य में करीब 31 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया गया. वहीं, अडाणी समूह ने बिहार में अकेले 8,700 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया है. इस निवेश से राज्य में बेहतर रोजगार मिल सकता है और बेरोजगारी दूर करने की ओर बड़ी पहल है.
HIGHLIGHTS
- बिहार में पूरे साल सियासी हलचल
- इन मुद्दों ने बटोरी सुर्खियां
- करीब 31 हजार करोड़ का निवेश
Source : News State Bihar Jharkhand