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चंपई सोरेन दिल्ली में डटे, विधायकों के साथ क्या BJP में होंगे शामिल? अन्य विकल्प पर भी चर्चा

झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन बीते दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. वे भाजपा से जुड़ने की कोशिश में लगे हैं. हालांकि अभी उन्होंने अन्य विकल्प भी सामने रखे हैं.  

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Mohit Saxena
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champai in BJP

champai soren (social media)

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झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन दिल्ली में डटे हुए हैं. वे कभी भी भाजपा में शामिल होने का ऐलान कर सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, अगले कुछ दिनों में चंपई बड़ा ऐलान कर सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं. आपको बता दें क जेएमएम और कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट विधायकों और नेताओं के साथ चंपई सोरेन भाजपा का दामन थाम सकते हैं.  फिलहाल अलग-अलग मामलों पर उनकी भाजपा के संग बातचीत जारी है.

दरअसल, ऐसा बताया जा रहा है कि जेएमएम विधायक दशरथ गागराई, चमड़ा लिंडा, लोबिन हेंब्रम लगातार सीएम हेमंत सोरेन से नाराज चल रहे थे. इस नाराजगी के कारण चंपई सोरेन के साथ अन्य विधायकों ने भाजपा में शामिल होने का मन बना​ लिया है.

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अन्य विधायकों के संग बातचीत जारी 

चंपई सोरेन के साथ करीब आधे दर्जन विधायक मौजूद हैं. चंपई सोरेन के अनुसार जेएमएम और कांग्रेस के अन्य नेता भी उनके साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने एक और रणनीति भी तैयार की है. इसमें राजनीतिक सन्यास लेने या अलग संगठन बनाने की बात कही गई.  कुछ का कहना है कि चंपई सोरेन अपना संगठन बनाना सकते हैं. इसके बाद एनडीए के साथ जुड़ सकते हैं. इस सप्ताह वह कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं. 

चंपाई सोरेन का छलका दर्द

आपको बता दें, झारखंड के पूर्व सीएम और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के दिग्गज नेता चंपई सोरेन ने रविवार को सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म X पर अपना दर्द बयां किया था. उन्होंने लिखा, बीते तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से वे काफी भावुक हैं. वे आंसुओं को संभालने में लगे थे, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था. मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में उनका कोई वजूद ही नहीं है, जिस पार्टी के कारण उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित किया. इस बीच कई अपमानजनक घटनाएं सामने आईं.

इतने अपमान एवं तिरस्कार के कारण वे वैकल्पिक राह तलाशने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि मेरे पास तीन विकल्प थे. पहला, राजनीति से सन्यास लेना. वहीं दूसरा अपना अलग संगठन खड़ा करना. तीसरा इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उनके साथ सफर तय करना. उस दिन से लेकर आज तक उनके सभी विकल्प खुले हुए हैं.

 

 

 

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