[रिपोर्ट - राहुल डबास]
Chandigarh News: केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ ने इतिहास रच दिया. वो नए आपराधिक कानूनों को लागू करने वाला भारत का पहला शहर बन गया है. नए कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई को लागू हुए. चंडीगढ़ ने अपने कानूनी ढांचे को आधुनिक बनाने और उसमें सुधार लाने के मकसद से इन तीनों कानूनों को अपनाया है. इससे चंडीगढ़ में जांच प्रक्रिया में कई बदलाव आए हैं. आइए उनके बारे में जानते हैं.
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‘न्याय प्रणाली में एक बड़ा सुधार’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने खुद 3 दिसंबर को चंडीगढ़ पहुंचकर इसका जायजा लिया. पीएम मोदी ने इस कदम की भारत की न्याय प्रणाली में एक बड़ा सुधार बताया. उन्होंने नए कानून को औपनिवेशिक युग की न्याय व्यवस्था के अंत का प्रतीक भी बताया. बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली.
जांच प्रक्रिया में आई तेजी
चंडीगढ़ का ये कदम सराहनीय है. इससे उसके जांच प्रक्रिया में तेजी आई है, जिससे कानून में लोगों का भरोसा बढ़ा है. नए कानूनों को लागू करने के साथ ही चंडीगढ़ ने तकनीक को भी अपनाया है. चंडीगढ़ में जब कोई 112 पर कॉल करता है, तो उसके पास 3 से 5 मिनट में पुलिस सहायता पहुंच जाती है. इसमें जीपीएस टेक्नोलॉजी पुलिस की बढ़ी मददगार साबित हो रही है.
पुलिस थानों को दिए टैबलेट
पुलिस थानों को चार खास टैबलेट दिए गए हैं, जिनमें मौजूद ऑडिया विज्युअल को करप्ट यानी डैमेज नहीं किया जा सकता है. इन टैबलेट में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल है. इनका सर्वर भारत सरकार के डिजिलॉकर में से रहता है. इन टैबलेट से फॉरेंसिक टीम के पहुंचने से पहले ही वीडियो बनाया जाता है. मौके पर मौजूद गवाहों का बयान भी लिया जाता है. एक बार सेव होने के बाद इस ऑडियो विजुअल को केवल सुना जा सकता है, लेकिन इसमें कोई परिवर्तन संभव नहीं है, जिससे साक्ष के साथ छेड़छाड़ नहीं हो सकते.
सबूतों के साथ बारकोड
वारदात स्थल से मिले सबूतों के साथ एक बारकोड तैयार किया जाएगा. इस बारकोड के साथ ये सबूत रखे जाते हैं. इस बार कोड में समय, तारीख और इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर की जानकारी मौजूद होती है, ताकि सबूत से छेड़छाड़ नहीं की जा सके. सीसीटीवी मॉनिटरिंग में आरोपियों को हवालात में रखा जाता.
वहीं, पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी रूम में डेड बॉडी को भेजने के बाद पुलिस का काम खत्म हो जाता है. अस्पताल पोस्टमार्टम रिपोर्ट ऑनलाइन भेजता है. इस रिपोर्ट में पोस्टमार्टम की पूरी जानकारी और वीडियो भी रहती है. बारकोड के आधार पर तमाम सबूत फॉरेंसिक लेबोरेटरी भेजे जाते हैं, ताकि 60 दिनों के अंदर तमाम सबूत के साथ चार्जशीट फाइल की जा सके.
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