Advertisment

छत्तीसगढ़ BJP में बड़ा बदलाव, क्या नए प्रदेश अध्यक्ष से बढ़ेगा प्रभाव?

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीधा आरोप लगाया है कि आदिवासी दिवस के दिन ट्राइबल फेस को हटाकर बीजेपी ने ये साबित कर दिया है कि आदिवासियों की वो कितनी बड़ी हितैषी है?

author-image
Vijay Shankar
एडिट
New Update
Arun Sao

Arun Sao ( Photo Credit : File)

Advertisment

छत्तीसगढ़ बीजेपी (Chhattisgarh bjp) में बड़े बदलाव से एक बार फिर यहां की  सियासी राजनीति तेज होने वाली है. पिछले कुछ महीनों से राज्य में जिन अटकलों को लेकर जो चर्चा चल रही थी उसे अब बीजेपी (BJP) ने विराम दे दिया है. बिलासपुर के सांसद अरुण साव (Arun Sao) को पार्टी ने प्रदेश की कमान दे दी है. फिलहाल कहा जा रहा है की बीजेपी ने OBC कार्ड प्ले किया है, लेकिन आदिवासी वर्ग के विष्णु देव को हटाने को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीधा आरोप लगाया है कि आदिवासी दिवस के दिन ट्राइबल फेस को हटाकर बीजेपी ने ये साबित कर दिया है कि आदिवासियों की वो कितनी बड़ी हितैषी है?

फिलहाल राज्य में ये सवाल भी सुर्खियों में है कि क्या अब नेता प्रतिपक्ष भी बदले जाएंगे? सवाल इसलिए भी है क्योंकि जातीय और क्षेत्रीय समीकरण दोनों को साधना जरूरी है. अभी बिलासपुर के पास ही प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों पद हो गए हैं. अरुण साव और धर्मलाल कौशिक दोनों बिलासपुर के हैं, और दोनों OBC वर्ग से हैं. ऐसे में बीजेपी को क्षेत्रीय और राजनीतिक समीकरण साधने के लिए बदलाव करने ही होंगे. हालांकि आदिवासियों की अनदेखी कर प्रदेश की सत्ता में काबिज होना मुश्किल है. इसलिए कहा जा रहा है कि नेता प्रतिपक्ष की कमान किसी आदिवासी चेहरे को दी जाए.

आखिर प्रदेश की कमान अरुण साव को ही क्यों दी गई?

अरुण साव को प्रदेश की कमान के पीछे सीधे तौर पर एक बड़ा वोट बैंक को साधने की रणनीति है. अरुण साव साहू समाज से ताल्लुक रखते हैं जो जाति छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग में बहुसंख्यक है. वहीं वे संघ की पसंद भी माने जा रहे हैं. संगठन में उनकी साफ-सुथरी छवि है. प्रदेश में ओबीसी की आबादी 47% से ज्यादा है जो प्रदेश की सत्ता के किंगमेकर माने जाते हैं. इसलिए पार्टी ने ओबीसी चेहरे पर दांव खेला है.

ये भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ में कोयला संकट, भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार से मांगी मदद

आदिवासियों की अनदेखी से बीजेपी की राह आसान नहीं

राज्य में करीब 32 फीसदी ट्राइबल की आबादी है. 90 में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. इनमें से 11 सीटें बस्तर संभाग में हैं. वर्ष 2003 में बस्तर में बीजेपी ने 8 सीटें जीती थीं. वर्ष 2018 में खाता भी नहीं खुला और सत्ता गंवानी पड़ी थी. वर्ष 2003 में 75 फीसदी एसटी सीटें बीजेपी ने जीती थी. इसी तरह वर्ष 2008 में 66 फीसदी और वर्ष 2013 में 36 फीसदी सीटें ही बीजेपी जीत पाई थी. इसलिए राज्य में सत्ता के लिए आदिवासियों को साधना जरूरी है. ऐसे में कांग्रेस ने आदिवासियों के बहाने बीजेपी को घेरा है ताकि आदिवासियों के बीच उसका जनाधार बढ़ सके. 

bhupesh-baghel chhattisgarh bjp state president arun sao OBC card Vishnu Dev छत्तीसगढ़ बीजेपी बीजेपी राज्य अध्यक्ष अरुण साव
Advertisment
Advertisment