छत्तीसगढ़ में PSC-2016 के सेलेक्शन को चुनौती देने वाली याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ा ही अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने अगली पीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में डीएसपी का एक पद सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है. 2016-PSC में सेलेक्शन को लेकर चारूचित्र नाम की एक अभ्यर्थी ने चुनौती दी थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए डीएसपी का एक पद सुरक्षित रखने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है.
चारूचित्र पीएस की परीक्षा में शामिल हुई, लेकिन सेलेक्शन लिस्ट में वो वेटिंग पर रख दी गयी. वो वेटिंग लिस्ट में 9वें नंबर पर थी, जबकि अनुसूचित जनजाति महिला वर्ग में वो पहले नंबर पर वेटिंग लिस्ट पर थी. साल 2017 में रिजल्ट जारी होने के बाद 27 दिसंबर को चारूचित्र के सर्टिफिकेट का वैरिफिकेशन हुआ साथ ही नियुक्ति का आदेश जारी करने को कहा गया.
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इसी बीच इसी साल जनवरी में एक और नयी लिस्ट जारी की गयी और कहा गया कि पीएससी 2016 की वैधता खत्म हो चुकी है, इसलिए अगली सेवा परीक्षा 2017 में आयोजित की जायेगी. जिसके बाद चारूचित्र ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और संदीप सिंह माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट में इस बात की चुनौती दी गयी कि नियुक्ति के लिए कोई प्रक्रिया अगर शुरू हो जाती है और यदि प्रतीक्षा सूची की वैधता अवधि के दौरान प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो अभ्यर्थी उसके लिए जिम्मेदार नहीं होता है.
मतीन सिद्दीकी ने कोर्ट में ये पक्ष रखा कि सितंबर 2018 में वेटिंग लिस्ट जारी हुई थी, उस लिहाज से मार्च 2020 तक डेढ़ साल की वैधता होनी चाहिये. जस्टिस पी सैम कोशी की याचिका की सुनवाई के दौरान 23 जुलाई को सुनवाई के दौरान मतीन सिद्दीकी ने बड़ी ही मजबूती से पक्ष रखा और याचिकाकर्ता को नियुक्ति का हकदार बताया. मतीन सिद्दीकी ने कहा कि याचिकाकर्ता परीक्षा के हर मापदंड पर पूरी तरह से सही साबित हुई, लिहाजा उन्हें नियुक्ति दी जानी चाहिये. उन्होंने मांग कि डीएसपी के पद को प्रतिक्षा सूची से भरा जाना चाहिये, अगर इसकी अवधि खत्म कही जाती है, तो इसके लिए शासन जिम्मेदार है, ना कि अभ्यर्थी.
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इसके बाद हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर कहा है कि डीएसपी का एक पद अनुसूचित जाति की महिला संवर्ग के लिए रिक्त रखा जाये, साथ सचिव गृह मंत्रालय और छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग से जवाब भी कोर्ट ने मांगा है.
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