छत्तीसगढ़ में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद सात योजनाओं के नाम बदलकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और डॉ. बी. आर. अंबेडकर के नाम कर दिया गया है. सरकार के इन फैसलों से सियासी संग्राम तेज हो गया है. बीजेपी ने इन निर्णयों को जहां अलोकतांत्रिक बताया है, वहीं कांग्रेस ने बीजेपी शासनकाल की भूल सुधार करार दिया है.
कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद पं. दीनदयाल उपाध्याय व विजयाराजे सिंधिया के नाम से चल रहीं योजनाओं के नाम बदलने का सिलसिला शुरू कर दिया है. नगरीय प्रशासन विभाग ने पांच योजनाओं के नाम बदले हैं, तो श्रम विभाग ने दो योजनाओं का नामकरण किया है.
नगरीय प्रशासन विभाग ने 11 फरवरी को आदेश जारी कर पांच योजनाओं के नाम बदल दिए. इसके तहत दीन दयाल उपाध्याय स्वावलंबन योजना का नाम बदलकर राजीव गांधी स्वावलंबन योजना, पं. दीनदयाल उपाध्याय सर्वसमाज मांगलिक भवन योजना का नाम डॉ. बी. आर. आंबेडकर सर्वसमाज मांगलिक भवन योजना, पं. दीनदयाल उपाध्याय एलईडी पथ प्रकाश योजना का नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी एलईडी पथ प्रकाश योजना, पं दीनदयाल उपाध्याय आजीविका केंद्र योजना का नाम राजीव गांधी आजीविका केंद्र योजना और पं. दीनदयाल उपाध्याय शुद्घ पेयजल योजना का नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी शुद्घ पेयजल योजना कर दिया गया है.
वहीं श्रम विभाग ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर दो योजनाओं के नाम बदल दिए. जारी आदेश के अनुसार, राजमाता विजयाराजे कन्या विवाह योजना का नाम बदलकर मिनीमाता कन्या विवाह योजना और पं. दीनदयाल उपाध्याय अन्न श्रम सहायता योजना का नाम शहीद वीर नारायण सिंह श्रम सहायता योजना कर दिया गया है.
राज्य सरकार के फैसलों पर बीजेपी सवाल उठा रही है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने आईएएनएस से कहा, "कांग्रेस सरकार का यह निर्णय पूरी तरह अलोकतांत्रिक है. पं. उपाध्याय के नाम की पांच योजनाओं का नाम उस दिन बदला गया, जिस दिन उनकी पुण्यतिथि थी. यह राजनीतिक मूल्यों के खिलाफ है."
कौशिक ने कहा, "महापुरुषों के नाम पर चल रही योजनाओं के नाम नहीं बदला जाना चाहिए. योजनाओं के नाम में बदलाव दूषित राजनीतिक मानसिकता का प्रमाण है. कांग्रेस को अगर महापुरुषों के नाम पर योजनाओं का नामकरण करना है तो नई योजनाएं शुरू करनी चाहिए. जिन योजनाओं में कांग्रेस का कोई योगदान नहीं है, उन योजनाओं के नाम बदलेगे, तो यह ठीक नहीं है."
राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री शिवकुमार डेहरिया ने आईएएनएस से कहा कि योजनाओं के नाम बदला जाना सही है. उन्होंने कहा, "जिन योजनाओं के नाम बदले गए हैं, वे योजनाएं पहले इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के नाम पर हुआ करती थीं. वर्ष 2004 में बीजेपी सत्ता में आई तो योजनाओं के नाम पं. दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर कर दिया. वास्तव में योजनाओं के नाम उन महापुरुषों के नाम पर होना चाहिए, जिन्होंने देश और राज्य (छत्तीसगढ़) के लिए कुछ किया हो. पं. उपाध्याय का छत्तीसगढ़ के लिए तो कोई योगदान है नहीं."
डहरिया ने आगे कहा, "योजनाओं के नाम बदलने की शुरुआत तो बीजेपी ने की थी. उन्होंने जो गलती की थी, उसे कांग्रेस सरकार सुधार रही है. साथ ही यह सरकार का अधिकार है कि वह योजनाओं का नामकरण किसके नाम पर करे."
Source : News Nation Bureau