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छत्तीसगढ़ में कोयला संकट, भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार से मांगी मदद

छत्तीसगढ़ सरकार एक ओर राज्य में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने में लगी है तो वहीं दूसरी ओर राज्य में स्टील उद्योगों में कोयले का संकट गहराने लगा है.

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Deepak Pandey
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Bhupesh Baghel

CM Bhupesh Baghel( Photo Credit : फाइल फोटो)

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छत्तीसगढ़ सरकार एक ओर राज्य में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने में लगी है तो वहीं दूसरी ओर राज्य में स्टील उद्योगों में कोयले का संकट गहराने लगा है. राज्य में स्टील उद्योग को हर महीने करीब एक करोड़ पचास लाख टन कोयले की जरूरत पड़ती है, लेकिन साउथ ईस्ट कोल फील्ड्स लिमिटेड सिर्फ 60 लाख टन कोयले की आपूर्ति कर रही है. अगस्त महीने में कोयले की आपूर्ति रोकने की बात कही जा रही है, जिसकी वजह से उद्योगों में ताले बदी की नौबत आ सकती है और इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा.

अब सवाल उठने लगा है कि कोयला उत्पादक राज्य को उसके ही राज्य में लघु उद्योगों को कोयले की आपूर्ति आखिर क्यों नहीं. राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले पर केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रहलाद जोशी को चिट्ठी लिखकर मदद मांगी है. भूपेश बघेल ने पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में हर वर्ष 15 करोड़ टन से अधिक कोयले का उत्पादन होता है. कोयला उत्पादन में छत्तीसगढ़ देश में दूसरे स्थान पर है. प्रदेश से कोयले का खनन कर देश के दूसरे राज्यों को भेजा जा रहा है.

छत्तीसगढ़ के भीतर अनेक कई प्रकार की बड़ी स्टील उत्पादक इकाइयों के अलावा सैकड़ों छोटी इकाइयां संचालित है। इन उद्योगों में लोगों को रोजगार मिलता है। पिछले 6 महनों से देश में कोयले का संकट गहराया है गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के कोल माइंस से कोयला खनन कर प्राथमिकता के आधार पर रेल मार्गो से दूसरे राज्यों में कोयले की सप्लाई की जा रही है। जिसकी वजह से यात्री ट्रेनों को बंद करना पड़ा।

छोटे और बड़े उद्योगों में तालाबंदी नौबत

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने न्यूज़ नेशन से कहा है कि कोयला संकट की वजह से प्रदेश के स्टील उद्योग को एसईसीएल द्वारा अगस्त माह से कोयले की आपूर्ति रोकने का निर्णय लिया गया है. इससे राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी. पावर प्लांट छोड़कर दूसरी छोटी-छोटी इकाइयों में तालाबंदी की नौबत आ जाएगी. वहीं, मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि प्रदेश की स्टील निर्माताओं को मौजूदा वक्त में 60 लाख टन कोयला हर महीन एसईसीएल द्वारा दिया जा रहा है, जबकि उनकी डिमांड करीब एक करोड़ पचास लाख टन ही है.

कोयला उत्पादन राज्य को उसके ही लघु उद्योगों को आपूर्ति नहीं किया जाना ये दुर्भाग्यपूर्णजनक फैसला होगा. लिहाजा केंद्रीय मंत्री संबंध में एसईसीएल के अधिकारियों को निर्देश दें.

Source : MOHIT RAJ DUBEY

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