रायपुरः छत्तीसगढ़ में आने वाले दिनों में मेयर चुनाव में जनता की सीधी भागीदारी खत्म होने जा रही है. मध्य प्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों में से ही किया जाएगा. इस पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीन सदस्यीय मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाई है. समिति इस बात पर विचार कर रही है कि महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से कराया जाए. मंगलवाल तक समिति अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी.
इन मंत्रियों की समिति देगी रिपोर्ट
मुख्यमंत्री द्वारा बनाई गई तीन सदस्यीय समिति में विधि-विधायी मंत्री रविंद्र चौबे, आवास मंत्री मोहम्मद अकबर और नगरीय निकाय मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया शामिल हैं. समिति 15 अक्टूबर तक मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट देंगे. मुख्यमंत्री उस रिपोर्ट को कैबिनेट में रखेंगे. जानकारी के मुताबिक प्रदेश के 165 में 155 नगरीय निकायों में वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं. महापौर और नगर पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण हो चुका है, तब राज्य सरकार ने अप्रत्यक्ष चुनाव पर विचार शुरू किया है.
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इन बातों पर समिति करेगी विचार
मंत्रिमंडलीय उपसमिति को अप्रत्यक्ष चुनाव के विचार पर मंथन करना है. समिति देखेगी कि इस प्रक्रिया को लागू करने से चुनाव का सरलीकरण होगा या नहीं. साथ ही इस बात पर भी विचार किया जाएगा कि इस प्रक्रिया को लागू करने से प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के व्यय में कमी आएगी या नहीं. समिति इन्हीं बातों पर विचार कर रही है. जानकारी के मुताबिक समिति सोमवार तक अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप देगी. समिति के सदस्यों ने इस बात पर सहमति बना ली है कि पार्षदों के बीच से ही महापौर का चुनाव किया जाए.
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अध्यादेश से लागू होगा फैसला
समिति के इस फैसले को लागू कराने के लिए रिपोर्ट को पहले मंत्रिमंडल में रखा जाएगा. अप्रत्यक्ष चुनाव को लागू करने के लिए मंत्रिमंडल अध्यादेश लाएगा. साथ ही छह माह के भीतर विधानसभा सदन में अध्यादेश को लाकर पास कराना होगा. हालांकि इसे लागू कराने के लिए कांग्रेस सरकार के सामने कोई मुश्किल नहीं जाएगी, क्योंकि सदन में इसके सदस्यों की संख्या एक-तिहाई से ज्यादा है.
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महापौर-अध्यक्ष पदों के आरक्षण में नहीं होगा बदलाव
समिति के फैसले से महापौर और अध्यक्ष पदों का जो आरक्षण तय हो गया है, उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. अप्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था लागू हो भी जाती है तो भी बहुमत वाले दल के पार्षदों के बीच से आरक्षण के आधार पर ही महापौर या अध्यक्ष का चुनाव होगा. इस फैसले को मध्य प्रदेश की तर्ज पर भले ही लागू किया जा रहा हो लेकिन वहां भी परिस्थितियां कुछ अलग थीं. मध्यप्रदेश सरकार ने पहले अप्रत्यक्ष चुनाव का फैसला लागू किया जबकि आरक्षण उसके बाद लागू किया गया. दूसरी तरफ बीजेपी सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार पर निशाना साधा है. बीजेपी का कहना है कि प्रदेश सरकार को जनता पर भरोसा नहीं है इसलिए वह जनता के बीच जाने के बजाए अप्रत्यक्ष चुनाव कराने पर भरोसा कर रही है.
Highlights
- मध्यप्रदेश की तर्ज पर पार्षदों के बीच से होगा महापौर और अध्यक्ष का चुनाव
- मुख्यमंत्री ने बनाई है तीन सदस्यीय मंत्रिमंडलीय उपसमिति
- 15 अक्टूबर तक मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपेगी समिति