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नक्सलियों ने मां-बेटे को किया दूर, भूपेश बघेल की सौगात ने बदल दी जिंदगी

सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर नक्सल पीड़ित और नक्सल घटनाओं में शहीद परिवारों के लिये दंतेवाड़ा के कारली में सर्व सुविधायुक्त 36 आवास निर्मित किये गये हैं.

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Nihar Saxena
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Bhupesh

भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित परिवारों को सौंपे घर.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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घर क्या होता है... ये मुझे पता ही नहीं है. मैंने 21 साल की उम्र में उस डर को देखा जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. डर की वजह से 6 साल की उम्र से मेरी मां ने घर आने ही नहीं दिया. 2005 में 6 साल का था, जब नक्सलियों ने पूरा घर तबाह कर दिया था. लूट का ऐसा तांडव मचाया कि घर से गाय, बकरी, कपड़े, बर्तन यहां तक कि नमक तक लूटकर ले गये. अगले दिन हमारे पास पहनने को कपड़े तक नहीं थे. कुछ महीने बाद ही 26 फरवरी 2006 में महाशिवरात्रि थी. बड़े भाई मोहन मंडावी जो SPO थे. तुलार गुफा से शिवजी के दर्शन कर लौट रहे थे. उनकी नक्सलियों ने भरे बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी.

दंतेवाड़ा में बनाए गए 36 घर
डर की वजह से मुझे पढ़ाई के लिये 2007 में बालक आश्रम बारसूर, फिर भैरमगढ़ पोटाकेबिन इसके बाद मारडूम भेज दिया. अपनी दास्तां बताते हुये रामनाथ मंडावी की आंखों में आंसू छलक आए. वे बताते हैं कि मैं जिंदा रहूं. इसके लिये मां मुझे घर नहीं आने देती थी. जब भी दिल करता हम लोग बाजार में जाकर मिल लेते थे और लिपटकर खूब रोते थे. लेकिन अब रामनाथ मंडावी घर में रहेंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दंतेवाड़ा में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान आवासीय परिसर के घर की चाबी रामनाथ मंडावी को सौंपी. सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर नक्सल पीड़ित और नक्सल घटनाओं में शहीद परिवारों के लिये दंतेवाड़ा के कारली में सर्व सुविधायुक्त 36 आवास निर्मित किये गये हैं. इनमें से 30 आवास नक्सल पीड़ित परिवारों को आवंटित कर दिये गये हैं.

मां की मजदूरी बंद करायेगी बेटी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से शासकीय आवास की चाबी पाने के बाद सीमा कर्मा बेहद खुश हैं. सीमा बताती हैं कि मैं और मां नक्सलियों द्वारा पिता की हत्या के बाद बेहद सदमें में रहे. मेरे पिता गोपनीय सैनिक थे. घटना वाली रात नक्सली दरवाजा तोड़कर घर में घुस आये और पिता को घसीटते हुये ले गए. हम लोग बहुत गिड़गिड़ाये लेकिन पिता को नहीं छोड़ा. अगले दिन पता चला कि नक्सलियों ने पिता की गला रेतकर हत्या कर दी है. इसके बाद नक्सली हमारे गांव वाले घर में पथराव करते रहे ताकि हम लोग दहशत से घर छोड़कर चले जायें. मां ने मजदूरी कर हम तीनों भाई-बहन को पाला है. अभी घर 3 हजार रूपये घर का किराया देती हूं. अब शासकीय आवास मिल गया है. इससे बहुत राहत मिलेगी. सीमा ने कहा कि अभी अनुकंपा नियुक्ति के तौर पर आरक्षक के पद पर ज्वाइन किया है. अब नक्सलियों को खत्म करने का ही सपना है.

HIGHLIGHTS

  • नक्सल पीड़ित और शहीद परिवारों के लिए बनाए गए घर
  • दंतेवाड़ा में 36 घरों में 30 की चाबी की गई आवंटित
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