दंतेवाड़ा बैलाडिला की पहाड़ियों के पीछे तराई में बसे लौह गाँव मे आदिवासियों के बीच देश की आजादी के इतने साल बाद पहेली बार स्वास्थ्य विभाग की टीम पैदल नदी नाले पहाड़ पर कर इस क्षेत्र में पहुंची। टीम के लोग सिर पर दवाइयां, कंधे पर मच्छरदानी लादकर 25 सदस्यीय दल गांव पहुँच कर लोगों का इलाज किया। 12 किलोमीटर की कठिन पहाड़ियों को पैदल पार कर गांव में शिविर लगाया। ग्रामीणों ने इलाज के लिए टीम और जिला कलेक्टर दीपक सोनी को धन्यवाद कहा।
दंतेवाड़ा जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अंतिम व्यक्ति तक चिकित्सा सेवाएं पहुंचाने के संकल्प को पूरा करने पहुंच विहीन गावों में शिविर लगाया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य विभाग को टीम जिले के ऐसे पहुंच विहीन क्षेत्र लोहा गाँव पहुंची जहां आज तक कभी कोई नही पहुंचा। सिर पर दवाई लादकर 12 किलोमीटर का ऊंची ऊंची पहाड़ियों को पैदल पार कर गांव पहुंचा। और 20 घरों के सभी लोगो इलाज किया। ग्रामीणों ने शिविर लगाकर लोगो के इलाज करने स्वास्थ्य विभाग की टीम को धन्यवाद कहा। और गांव में हमेशा ऐसे ही पहुंच कर ईलाज करने की गुजारिश की। बता दें कि लोहा गांव बैलाडिला की लोहे की पहाड़ियों के बीचोबीच बसा ऐसा गांव है जहाँ पहुंचने के लिये मार्ग नहीं है। लगभग 10 ऊंची ऊंची पहाड़ियों को पार करके पैदल पहुँचा जाता है। मलेरिया मुक्त, एनीमिया मुक्त अभियान, कोविड वैक्सीनेशन को साकार करने स्वास्थ्य विभाग अभियान चला रही है।
इस गांव में इसी अभियान को पूरा करने शिविर लगाया गया। इलाज के दौरान गांव में कुपोषित बच्चे मिले जिन्हें अस्पताल लाने कहा गया वही खून की कमी, खुजली, जोड़ो में दर्द की समस्या से ग्रसित मरीज मिले। जिनका ईलाज किया गया। डॉ रिशव कोचर ने अपना अनुभव साझा करते हुए बहत की कई नदी नाले पहाड़ियों को पार कर पूरी टीम लौह गाँव पहुंची सफर चुनोती भरा था नक्सल प्रभावित क्षेत्र के साथ साथ जानवरो का डर था पर हमारे साथ लोकल लोग थे अभी हम वापस लौट रहे है खड़ी चढ़ाई है लेकिन इस बात की खुशी है कि हम वह पहुंचे और ग्रामीणों का इलाज किया। टीम में शामिल मनोहर नेताम ने कहा कि पीठ में समान लाद कर पहेली बार हम ऐसे बीहड़ में पहुचे खुसी इस बात की है कि हमने वह लोगो का भरोसा जीता।
Source : Khushboo