Advertisment

छत्तीसगढ़ में गोबर से बनेगी बिजली, गांधी जयंती पर परियोजना की शुरुआत

गोधन न्याय योजना के बाद छत्तीसगढ़ में अब गोबर से बिजली बनाने की तैयारी, मुख्यमंत्री बघेल ने कहा अब छत्तीसगढ़ का साधारण गाँव वाला भी बेचेगा बिजली

author-image
Mohit Sharma
एडिट
New Update
Chhattisgarh

Bhupeash Bhagel ( Photo Credit : ANI)

Advertisment

दो रुपए किलो में गोबर खरीदी करने के बाद आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ में अब गोबर से बिजली बनाने की तैयारी हो रही है. गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम और बढ़ते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐतिहासिक परियोजना का शुभारंभ किया. इस अवसर पर बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ग्रीन एनर्जी के उत्पादन में गाँववालों, महिलाओं, युवाओं की भागीदारी होगी. उन्होंने कहा कि दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग से चिंतित है. हर जगह ग्रीन एनर्जी की बात हो रही है, इसलिए सरकार ने गोबर से बिजली बनाने का फैसला किया है.

publive-image

छत्तीसगढ़ के हर गाँव में पशुओं को रखने वाली जगह “गोठानो “ में गोबर से बिजली बनाने की यूनिट लगाई जाएगी। बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना के तहत किसानों से खरीदे गए गोबर का इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए किया जाएगा. इससे न सिर्फ पर्यावरण को फायदा होगा बल्कि गोबर खरीद कार्य करने वाली स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी लाभ मिलेगा.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज गांधी जयंती के दिन छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला मुख्यालय में आयोजित किसान सम्मेलन में गोबर से बिजली उत्पादन की महत्वाकांक्षी और ऐतिहासिक परियोजना के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे.

publive-image

क्या है गोबर से बिजली की योजना-

 सुराजी गांव योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 6 हजार गांवों में गौठानों का निर्माण कराकर उन्हें रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया गया है. यहां गोधन न्याय योजना के तहत दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी कर बड़े पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन एवं अन्य आयमूलक गतिविधियां समूह की महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही है. गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की भी शुरुआत 2 अक्टूबर से की जा रही है. इसके लिए प्रथम चरण में बेमेतरा जिले के राखी, दुर्ग के सिकोला और रायपुर जिले के बनचरौदा में गोबर से बिजली उत्पादन की यूनिट लगाई गई है.

कौन सी तकनीक का होगा इस्तेमाल- 

गोबर से विद्युत उत्पादन के लिए गौठानों में बायो गैस प्लांट, स्क्रबर एवं जेनसेट स्थापित किए गए हैं. बायो गैस टांके में गोबर एवं पानी डालकर बायोगैस तैयार की जाएगी, इससे 50 फीसद मात्रा में मीथेन गैस उपलब्ध होगी, जिससे जेनसेट को चलाकर विद्युत उत्पन्न की जाएगी.

योजना से कई तरह के फायदे-

छत्तीसगढ़ में उद्योग लगेगा, जिससे सीधे तौर पर युवाओं को रोजगार मिलेगा और किसानों को फसल का उचित दाम भी मिलेगा। गोबर से गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं विक्रय किया जा चुका है.जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है.

 वैज्ञानिक बताते हैं कि गोबर से उत्पन्न विद्युत की प्रति यूनिट लागत 2.50 से 3 रूपये तक आती है। यहां ये गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। जिसमें से 6112 गौठान पूर्ण रूप से निर्मित एवं संचालित है.  गोबर से रेन्यूएबल एनर्जी का उत्पादन होगा, जिसकी मार्केट वैल्यू 8 से 10 रूपया प्रति यूनिट होगी. जिसका सीधा लाभ उत्पादक समूहों को होगा.

Source : MOHIT RAJ DUBEY

chhattisgarh bhupesh-baghel Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel
Advertisment
Advertisment
Advertisment