छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Affected Areas) में सबसे पहले आने वाले स्थानों में नारायणपुर (Narayanpur) का बड़ा हिस्सा आज भी मुख्य मार्ग से नहीं जुड़ पाया है, यही कारण है कि यहां लोगों को स्वास्थ्य सेवा पाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. प्रसव तो गर्भवती महिलाओं के लिए नई मुसीबत लेकर आता है और उनके सामने जीवन-मरण का काल बन जाता है। महिलाओं को प्रसव काल में मुसीबत से उबारा जा सके, इसके लिए इस जिले में बाइक एम्बुलेंस का सहारा लिया जा रहा है।
नारायणपुर का अबूझमाड़ वह इलाका है, जहां के अधिकांश गांव आज भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़े हैं, वहां जाने का साधन सिर्फ बैलगाड़ी है। पगडंडी के सहारे ही इस इलाके के गांव तक पहुंचा जा सकता है, बरसात के मौसम में तो यहां पहुंचना और भी मुश्किल हो जाता है। अति नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां प्रशासन और सरकार चाहकर भी सड़क का निर्माण नहीं कर पाई है.
यह भी पढ़ें: जेएनयू छात्रों पर हुए हिंसा के विरोध में सड़कों पर उतरे IIT-Madras के छात्र
जिलाधिकारी पदुम सिंह एल्मा ने आईएएनएस को बताया कि अबूझमाड़ वह क्षेत्र है, जहां वनांचल बहुत ज्यादा है, नदी-नाले भी बहुत है। इसके चलते प्रसव के लिए महिलाओं को अस्पताल जाने में सबसे बड़ी दिक्कत आती है। इसी को ध्यान में रखकर बाइक एम्बुलेंस का प्रयोग सफल हुआ है। पहले दो बाइक एम्बुलेंस थीं, अब चार और बाइक एम्बुलेंस आ गई हैं।
एल्मा ने बताया कि यह बाइक एम्बुलेंस खास तरह से तैयार की गई हैं। इसमें मोटरसाइकिल के साथ एक छतरीनुमा हिस्सा जोड़ा गया है, जिसमें प्रसवा महिला के लेटने के साथ एक अन्य व्यक्ति भी बैठ सकता है। यह लगभग वैसा ही है, जैसी फिल्म 'शोले' में प्रयुक्त मोटरसाइकिल थी।
यह बाइक एम्बुलेंस उन स्थानों तक आसानी से पहुंच जाती है, जिन गांव तक पगडंडी है। यह प्रयोग पहले सफल रहा और अब चार बाइक एम्बुलेंस के आ जाने से वनांचल की महिलाओं के लिए प्रसव पीड़ा के दौरान काफी मदद मिलेगी।
यह भी पढ़ें: JNU Violence:जेएनयू की हिंसा के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई
स्थानीय लोगों की मानें तो अबूझमाड़ के ओरछा क्षेत्र में कई गांव तो ऐसे हैं, जहां पैदल चलकर जाना होता है। इस स्थिति में महिलाओं को प्रसव काल में चिकित्सा सुविधा के लिए घंटों इंतजार करना होता है या कई घंटों में रास्ता तय करने के बाद ही वे स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंच पाती हैं। ऐसे इलाकों की महिलाओं के लिए यह बाइक एम्बुलेंस बड़ी मददगार साबित होंगी।
यह भी पढ़ें: नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़ी खबर! नहीं हैं ये डॉक्यूमेंट तो सैलरी कटना तय
इस क्षेत्र के दुर्गम रास्तों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार प्रशासन ने यहां खच्चर का सहारा लेने की कवायद की थी, जिसके लिए निविदाएं भी जारी हुईं, मगर बात आगे नहीं बढ़ी। अब बाइक एम्बुलेंस का प्रयोग किया गया है, यह प्रसवकाल में महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं है.
HIGHLIGHTS
- छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में सबसे पहले आने वाले स्थानों में नारायणपुरका बड़ा हिस्सा आज भी मुख्य मार्ग से नहीं जुड़ पाया है.
- यही कारण है कि यहां लोगों को स्वास्थ्य सेवा पाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है.
- प्रसव तो गर्भवती महिलाओं के लिए नई मुसीबत लेकर आता है और उनके सामने जीवन-मरण का काल बन जाता है.
Source : News Nation Bureau