आयुष्मान योजना लागू होने के बाद से छत्तीसगढ़ में महिलाओं की बच्चेदानी या गर्भाशय को निकालने के ऑपरेशनों की बाढ़ आ गई है. इन ऑपरेशन के मामले में छत्तीसगढ़ देश में पहले नंबर पर आ गया है. साल 2012 में भी छत्तीसगढ़ का नाम गर्भाशय कांड पर बदनाम हो चुका है इस बार गर्भाशय कांड पार्ट 2 सामने आया है. गर्भाशयों के ऑपरेशन को लेकर जारी की गी रिपोर्ट की मानें तो पिछले साल सितंबर से लेकर अप्रैल 2019 तक देशभर में हुए बच्चेदानी के कुल ऑपरेशनों में 21.2 फीसदी ऑपरेशन छत्तीसगढ़ में हुए हैं. इन सात महीनों के अंदर छत्तीसगढ़ के डॉक्टरों ने 3658 महिलाओं के गर्भाशय निकाल दिए. आयुष्मान की ताजा रिपोर्ट के हवाले से ये सनसनीखेज खुलासे किया है, जिससे केंद्र सरकार और स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे लोग सकते में हैं.
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छत्तीसगढ़ की आबादी को देखा जाए, तो वह देश की आबादी का बमुश्किल तीन फीसदी भी नहीं है. लेकिन गर्भाशय के ऑपरेशन में इतनी उछाल चौंकाती है. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में गर्भाशय निकालने की सर्जरी की संख्या 18.9 प्रतिशत, झारखंड में 12.2, गुजरात में 10.8, महाराष्ट्र 9 प्रतिशत और कर्नाटक में ये आंकड़ा 6.6 प्रतिशत रहा. इस रिपोर्ट के मुताबिक इन ऑपरेशनों की संख्या में 94.5 प्रतिशत ऑपरेशन निजी अस्पतालों में हुए हैं.
कुछ साल पहले राज्य में हुए गर्भाशय कांड के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने इस तरह के ऑपरेशन को लेकर बेहत सख्त नियम बनाए थे. सरकार द्वारा गठित कमेटी की अनुमति के बिना इस तरह के ऑपरेशन नहीं किए जा सकते थे. पर पिछले साल सितंबर में आयुष्मान योजना लागू हो जाने के बाद इसमें ढील दे दी गई. सख्त निर्देशों को हटाने का फैसला किसका था, किसके कहने पर लिया गया, यह जांच का विषय है. आयुष्मान योजना के तहत प्रदेश में कुल 3,658 महिलाओं के गर्भाशय का ऑपरेशन कर निकाल लिया गया है. इसमें 15 से 29 वर्ष की 2.2 प्रतिशत, 30 से 39 वर्ष की 21.1 प्रतिशत, 40 से 49 वर्ष तक की 52.7 प्रतिशत, 50 से 59 वर्ष की 17.3 प्रतिशत और 60 वर्ष से ऊपर वाली 6.6 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं.
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इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरप्रदेश में 3266, झारखंड में 2114, महाराष्ट्र में 1562 और गुजरात में 1865 महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए. इसमें सबसे कम केवल 3 मरीजों के गर्भाशय चंडीगढ़ के मरीजों के निकाले गए हैं. बता दें कि ये आंकड़े सितंबर 2018 से अप्रैल 2019 तक केवल 7 महीनों के हैं.
वहीं सरकार का कहना है कि ऐसी कोई रिपोर्ट आई है तो इस पर जांच कराई जाएगी. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस पूरे मामले की जांच की बात कही है. गौरतलब है कि सरकारी योजनाओं का फायदा आम लोगों को तो नहीं मिलता, लेकिन कई अस्पताल इन योजनाओं का फायदा उठाकर लाल हो जाते हैं. कैंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकाल लिया जाता है. यह छत्तीसगढ़ में पहली बार नहीं हुआ है, लेकिन उसके बाद भी सरकार सबक नहीं ले रही है.
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