आखिरकार उसी नाम पर मुहर लगी, जिस पर काफी दिनों से नजरें टिकी हुई थी. मोहन मरकाम छत्तीसगढ़ कांग्रेस चीफ बनाये गये हैं. बस्तर के इस कद्दावर नेता की ताजपोशी तो हो गयी है, लेकिन ताज की चमक बरकरार रखना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. कोंडागांव से लगातार दूसरी बार विधायक बने मोहन मरकाम का व्यक्तित्व जितना सरल है, उनकी कार्यशैली उतनी ही जुझारू. शिक्षाकर्मी से लेकर सियासत तक का उनका सफर बेहद चुनौतियों से भरा रहा.
राजनीति में आने से पहले चार-चार सरकारी नौकरियों से इस्तीफा देने वाले मोहन के लिए राजनीति की राह भी आसान नहीं थी. चार नौकरियों को छोड़ने के बाद उन्होंने चौथी बार में चुनाव लड़ने के लिए टिकट की दावेदारी 2008 में पूरी हुई. 51 साल के मोहन राजनीति में आने से पहले शिक्षाकर्मी वर्ग 1 व शिक्षाकर्मी वर्ग 2 के रूप में भी कार्य किया. इसके अलावा उन्होने कुछ दिनों तक भारतीय जीवन बीमा निगम में विकास अधिकारी और भारतीय स्टेट बैंक लाईफ में सीनियर एजेंन्सी मैनेजर के रूप में नौकरी की.
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15 सितंबर 1967 को कोंडागांव के टेड़मुण्डा गांव में जन्मे मोहन का परिवार कृषक रहा है. 7 भाई व 2 बहनों में मरकाम 5वीं नंबर हैं. जन्म से ही संघर्षों से उनका सामना हुआ. प्राथमिक स्कूल का भवन नहीं था, सो झोपड़ीनुमा स्कूल भवन में प्रारंभिक पढ़ाई की. फिर मीडिल स्कूल के लिए 7 किलोमीटर घने जंगलों का रास्ता तय माध्यमिक शाला काटागांव में पढ़ाई पूरी की. हाई स्कूल व हायर सेकेण्डरी माकड़ी व काॅलेज की पढ़ाई कांकेर महाविद्यालय से भूगोल विषय से एम.ए की शिक्षा प्राप्त की.
इनकी रूचि कानून की पढाई में भी रही इसके लिए इन्होंने जगदलपुर में रहकर 2 वर्षों तक कानून की पढाई की. इस बीच शासकीय नौकरी मिलने से कानून की पढ़ाई बीच में ही छुट गई. मोहन मरकाम छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. छात्र संघ के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारियों का निवर्हन किया. छात्र राजनीति में सक्रिय होने के कारण समस्याओं के निराकरण के लिए हमेशा तत्पर रहे. एनसीसी में सीनियर अंडर अफसर रहे व गणतंत्र दिवस, नई दिल्ली की परेड में चयनित होकर शामिल हुए.
इसके बाद वर्ष 1990-91 में शहीद महेन्द्र कर्मा के सानिध्य में कांग्रेस पार्टी से जुड़ने के बाद वर्ष 1993, 1998, 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से टिकट की दावेदारी भी की लेकिन टिकट नहीं मिला. 2008 में कांग्रेस पार्टी ने पहली बार मोहन मरकाम को अपना प्रत्याशी बनाया और लता उसेण्डी से उनका सीधा मुकाबला रहा, जिसमें उन्हे 2771 मतों से हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद फिर से 2013 में कांग्रेस ने मोहन मरकाम को टिकट दिया और इस बार वे भाजपा प्रत्याशी व छत्तीसगढ़ शासन में मंत्री रही लता उसेंडी को शिकस्त दे दी. इसी प्रकार 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी की ओर से लड़ते हुए फिर से भाजपा प्रत्याशी को हराया और लगातार दूसरी बार विधायक बने. चतुर्थ विधानसभा सत्र 2013 से 2018 के लिए उन्हें विधानसभा में उत्कृष्ट विधायक का सम्मान भी दिया गया.
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विधानसभा चुनावों के अलावा नगर पालिका चुनावों में भी मोहन मरकाम ने अपनी उपयोगिता साबित की 2014 में उनके नेतृत्व में कोण्डांगाव नगर पालिका का चुनाव संपन्न हुआ जिसमें नगरपालिका अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित पार्टी ने 22 में से 16 वार्डों में जीत हासिल की. इसी प्रकार 2015 में जिला पंचायत के चुनाव में भी उनकी भूमिका सराहनीय रही जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित 12 में से 9 सदस्यों ने जीत हासिल की . वहीं कोण्डागांव विधानसभा क्षेत्र में अधिकतर पंच व सरपंचों ने पार्टी के बैनर तले जीत हासिल की.
लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होने कांग्रेस प्रत्याशी के लिए जी तोड़ मेहनत की और प्रचंड मोदी लहर के बाद भी कोण्डागांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी को 12890 वोटों को बढ़त दिलाई. इन तमाम चीजों से ही उनके क्षेत्र में उनकी पकड़ और प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है . जिला कांग्रेस कमेटी से लेकर, प्रदेश कांग्रेस कमेटी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी तक के कार्यक्रमों में सहभागिता निभाना और अपना सहयोग देना उनकी आदतों में शामिल है. राजनीति के अलावा सामाजिक और सहकारी क्षेत्रों में भी मोहन मरकाम की सहभागिता काफी सराहनीय रही है. आदिवासी गोण्ड समाज का अध्यक्ष और आदिवासी विकास परिषद का संभागीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया. वहीं सहकारी क्षेत्र में काम करते हुए उन्होंने किसानों एवं ग्रामवासियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया, जिसके माध्यम से शासन द्वारा मिलने वाले लाभों और योजनाओं से उन्हें अवगत कराने का कार्य किया.
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जनहित से जुड़े मुद्दों पर कार्य करते हुए मोहन मरकाम ने कई आंदोलनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई. नसबंदी कांण्ड के विरोध में उन्होंने पेण्डारी, बिलासपुर से रायुपर तक 150 किमी की पदयात्रा की. वहीं किसानों के बोनस व अन्य मांगों को लेकर बलौदाबाजार से रायपुर तक 50 किमी की पदयात्रा की. उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ किसानों की समस्याओं और भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में भी पदयात्रा की. वहीं चुनाव पूर्व पार्टी द्वारा आयोजित परिवर्तन यात्रा में प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष रहे टीएस सिंहदेव के साथ जगदलपुर से कोण्डागांव व डोंगरगढ़ से रायपुर तक पैदलयात्रा में शामिल रहे. इसके अलावा प्रदेश व क्षेत्र की खुशहाली के लिए क्षेत्र के लोगों व सैकड़ों श्रृद्धालुओं के साथ बस्तर की अराध्य देवी मां दंतेश्वरी के द्वार दंतेवाड़ा तक 170 किमी की लगातार 03 वर्षों तक पदयात्रा कर अमन चैन की प्रार्थना की.
मोहन मरकाम ने कांग्रेस पार्टी के लिए कार्य करते हुए अपने पूरे विधानसभा क्षेत्र 83 में सदस्यता अभियान हेतु सायकल से यात्रा की और लोगों को पार्टी से जोड़ने का कार्य किया. मोहन मरकाम पार्टी के संगठन में बुथ अध्यक्ष, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, जिला प्रतिनिधि, प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य और वर्तमान में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं.
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