छत्तीसगढ़ के नक्सल बेल्ट के जिलों में शिक्षा को बढ़ावा देने में केंद्र सरकार का जनजातीय कार्य मंत्रालय जुटा है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित जिलों में 'प्रयास' योजना के तहत संचालित आवासीय विद्यालयों को पिछले एक वर्ष में 4.30 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है. इसी तरह आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए एकलव्य विद्यालयों का भी विस्तार किया जा रहा है. देश भर में इस साल 69 एकलव्य विद्यालय चल रहे हैं, वहीं सौ नए स्कूलों को भी मंजूरी मिली है.
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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने एनडीए 2.0 के एक साल पूरे होने पर मंत्रालयों की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए बताया कि जनजातीय कार्य मंत्रालय आदिवासी बच्चों की शिक्षा पर काफी ध्यान दे रहा है. आदिवासियों के लिए संचालित 285 स्कूलों में 73 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं. खास बात है कि बालक और बालिकाओं का अनुपात बराबर है. 32 लाख आदिवासी विद्यार्थियों को 2400 करोड़ की छात्रवृत्ति भी पिछले एक साल में मंत्रालय ने दी है. शिक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महाराष्ट्र में काया पलट अभियान के तहत संचालित 502 आश्रम विद्यालयों में 2.50 लाख छात्र हैं तो मध्य प्रदेश में कन्या शिक्षा परिसर योजना के तहत विद्यालय संचालित हो रहे हैं.
वर्ष 1999 में देश में अनुसूचित जनजाति समुदाय को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए स्थापित हुआ जनजातीय कार्य मंत्रालय कई तरह के विकास कार्यक्रम संचालित कर रहा है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का कहना है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए 2.0 के प्रथम वर्ष पूरे होने पर मंत्रालय ने जनजातीय कल्याण के लिए कई अहम कदम उठाए हैं.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मंत्रालय ने सार्वजनिक भवन, सड़क, स्कूल, लघु सिंचाई, सौर प्रकाश व्यवस्था और अन्य अवसंरचना परियोजनाओं के लिए 1600 करोड़ रुपये की धनराशि राज्यों को दी है. फरवरी, 2020 में यूएनडीपी के सहयोग से अनुसूचित जनजाति समुदाय के चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए राष्ट्रव्यापी क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी शुरू किया गया.
आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए बहुमुखी प्राथमिक जनजातीय स्वास्थ्य देखभाल मॉडल पर आधारित एक जनजातीय स्वास्थ्य कार्य योजना पर भी मंत्रालय काम कर रहा है.
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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने आईएएनएस को बताया कि जनजातीय कार्य संस्कृति और ज्ञान से संबंधित रिसर्च की दिशा में भी अहम कदम उठाए गए हैं. इसके लिए सभी शोध पत्रों, पुस्तकों, रिपोटरें और दस्तावेजों, लोक गीतों, फोटो और वीडियो के संदर्भ के लिए एक डिजिटल जनजातीय संचित कोष की योजना पर भी काम चल रहा है. आदिवासी संस्कृति के संरक्षण की दिशा में कई राज्यों में आदि महोत्वस भी आयोजित किए गए हैं.