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ईसाई मिशनरी का चौंकाने वाला कारोबार, सरकारी चावल से ₹100 करोड़ की उगाही

इन दिनों देश में धर्म परिवर्तन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, ताजा मामला छत्तीसगढ़ से सामने आया है, जहां ईसाई मिशनरियों ने धर्म परिवर्तन का नया तरीका खोज निकाला है, धर्म परिवर्तन के साथ-साथ वे सरकारी चावल से भी करोड़ों रुपए का कारोबार कर रहे हैं.

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Garima Sharma
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ईसाई मिशनरी का चौंकाने वाला कारोबार, सरकारी चावल से ₹100 करोड़ की उगाही

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छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना' और राज्य सरकार की 'अन्नपूर्णा योजना' के तहत गरीबों को वितरित किए जा रहे सरकारी चावल का एक नया और चौंकाने वाला दुरुपयोग सामने आया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये राशन चावल ईसाई मिशनरियां लोगों का धर्मांतरण करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं. यह मामला गंभीर और संवेदनशील हो गया है, जिससे राज्य सरकार के लिए कई नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं.

"एक मुट्ठी चावल योजना" से कमाई

जानकारी के अनुसार, मिशनरियां अब गरीब परिवारों से सरकारी चावल इकट्ठा करने के लिए एक नई योजना चला रही हैं, जिसे "एक मुट्ठी चावल योजना" कहा जाता है. इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार का हर सदस्य प्रतिदिन एक मुट्ठी चावल दान करता है. यह चावल बड़े पैमाने पर एकत्र किया जाता है और फिर खुले बाजार में 25-30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है. इस प्रक्रिया से मिशनरियों की वार्षिक आय 100 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है.

FCRA कानून और मिशनरियों की रणनीति

साल 2019 में लागू हुए 'विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए)' के बाद, मिशनरियों को विदेशों से धन प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा. इसके बाद, उन्होंने राशन चावल के इस अनूठे मॉडल को अपनाया, जिससे उन्हें गांव-गांव में मजहबी प्रचारकों को वेतन देने और उनके लिए अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का रास्ता मिला. इस प्रकार चावल ने मिशनरियों को एक नया वित्तीय सहारा प्रदान किया.

जशपुर और आसपास के जिलों में बढ़ते मामले

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर है, जहां ईसाई आबादी तेजी से बढ़ रही है. साल 2011 में जशपुर में ईसाई आबादी 22.5% थी, जो अब बढ़कर 35% यानी 3 लाख के पार जाने का अनुमान है. हाल ही में आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी से पता चला कि कानूनी रूप से केवल 210 लोग ही ईसाई बने हैं, जबकि असल संख्या कहीं अधिक हो सकती है. इस दौरान, सरकारी राशन योजनाओं का दुरुपयोग और धर्मांतरण के लिए चावल का इस्तेमाल किया जा रहा है.

मिशनरी कार्यकर्ताओं का मतांतरण अभियान

मिशनरी संस्थाएं अपने धार्मिक कार्यक्रमों और चंगाई सभाओं के माध्यम से मतांतरण का काम कर रही हैं. इन आयोजनों में चावल का उपयोग न केवल गरीबों की मदद करने के लिए, बल्कि उन्हें धर्म बदलने के लिए भी प्रेरित करने के लिए किया जा रहा है. जशपुर के समरबहार गांव में 2020 में पकड़े गए 10 लोगों ने इस बात की साफ किया था कि वे "एक मुट्ठी चावल योजना" के तहत चावल एकत्र कर रहे थे. हाल ही में जनवरी 2024 में जशपुर के जुरगुम गांव में भी इस बात की पुष्टि हुई है, जब कुछ और लोग इस मामले में गिरफ्तार किए गए.

सरकार की सख्त प्रतिक्रिया

छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री दयाल दास बघेल ने कहा कि अगर सरकारी राशन का दुरुपयोग धर्मांतरण के लिए किया जा रहा है, तो यह एक गंभीर मुद्दा है. उन्होंने पूरी प्रकरण की जांच कराने और कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया. सरकार ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि सरकारी योजनाओं का लाभ असामाजिक कार्यों के लिए न लिया जाए.

 

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