छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले के बाद सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को छत्तीसगढ़ रवाना हो गए हैं. इस हमले में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए हैं. इस दौरान शाह हमले में घायल हुए सुरक्षाकर्मियों से भी मिलेंगे, साथ ही उस जगह का भी दौरा करेंगे जहां सुरक्षाकर्मियों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. बता दें कि बीजापुर जिले में 300 सदस्यीय पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) के एक दल के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़ में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद गए हैं और 31 घायल हुए हैं. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के राकेश्वर सिंह मन्हास की अर्धसैनिक बल की कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन) यूनिट अभी भी लापता है, और उसका पता लगाने के लिए तलाशी अभियान जारी है.
वहीं नक्सलियों को भी भारी नुकसान होने की खबर है. सीआरपीएफ और राज्य के पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों ने एक महिला नक्सली कमांडर का शव भी बरामद किया है, जिसकी पहचान मडावी वणोजा के रूप में हुई है. साथ ही खुफिया जानकारी का हवाला देते हुए, सीआरपीएफ ने कहा कि ऑपरेशन में 12 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं और 16 से ज्यादा घायल हुए हैं.
जवानों को TCOC में फंसा कर किए जाते हैं बड़े हमले
बीएसएफ से रिटायर्ड कमांडेंट लईक अहमद सिद्दीकी ने बताया, 'फरवरी के बाद मौसम में बदलाव होता है. पतझड़ के मौसम के चलते जंगल में बड़े बदलाव आते हैं. पेड़ों पर पत्ते नहीं रहते, जिसके चलते दूर ऊंचाई पर बैठे नक्सली जवानों की मूवमेंट को आसानी से देखते रहते हैं. यही वजह है कि पूरे साल बड़े हमलों का इंतजार करने वाले नक्सली टीसीओसी को फरवरी-जून में अंजाम देते हैं.'
उन्होंने आगे कहा कि नक्सलियों ने फरवरी से जून के बीच होने वाले खास हमले की शक्ल में इसे अंजाम दिया है. इस हमले को टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन यानी TCOC कहा जाता है. नक्सल प्रभावित इलाका हो या फिर आतंकवाद से ग्रस्त कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट, हर जगह सुरक्षा बल रूटीन गश्त करते हैं. खासतौर से नक्सली TCOC के तहत सुरक्षा बलों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं. अहमद सिद्दीकी ने ये भी कहा कि अपने ही लोगों से सुरक्षा बलों तक कई तरह की झूठी सूचनाएं पहुंचाते हैं. जैसे नक्सलियों के बड़े नेता एक जगह मीटिंग के लिए जमा होने वाले हैं. नक्सली बड़ी संख्या में जमा हो रहे हैं और किसी बड़े हमले को अंजाम दे सकते हैं.
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की संख्या घटकर हुई आधी-
1. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित 13 जिलों में माओवादियों की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है.
2. नक्सली लड़ाकों और उनके मिलिशिया कैडर की संख्या बल पिछले 5-7 सालों में आधी रह गई है.
3. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, माओवादी लड़ाकों की संख्या करीब 6000 से घटकर अब करीब 3000 रह गई है.
4. नक्सल प्रभावित जिलों में सबसे अधिक 700 सशस्त्र एवं मिलिशिया नक्सली लड़ाके सुकमा जिले में सक्रिय हैं.
5. करीब 600 बीजापुर जिले में, 600 नारायणपुर में और 200-250 लड़ाके दंतेवाड़ा जिले में सक्रिय हैं.
6. बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, राजनांदगांव, कबीरधाम, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद और बलरामपुर में भी नक्सल सक्रीय हैं.
7. माओवादियों के गिरते कैडर संख्या का मुख्य कारण करीब 80 हज़ार सुरक्षाकर्मियों की तैनाती है.
8. कई बड़े नक्सली नेताओं की मौत के कारण आया वैचारिक खालीपन भी नक्सलियों की संख्या में कमी की बड़ी वजह है.
9. दिसंबर 2019 में हुई एक करोड़ से भी ज्यादा का वांछित इनामी नक्सली रमन्ना मारा गया था.
10. पिछले पांच वर्षों में कई बड़े माओवादी नेता या तो मारे गए या गिरफ्तार कर लिए गए या फिर उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया.
11. नक्सल कैडर में वैचारिक प्रचार प्रसार को नेतृत्व देने के लिए रिसोर्स पर्सन का लगातार अभाव हो रहा है.
क्या है U शेप अम्बुश?
- बीजापुर में नक्सलियों ने जवानों को घेरने के लिए यू शेप घेरा बनाया था '
- यूशेप घेरे में तीन तरफ से अम्बुश लगाई जाती है
- जिस रास्ते से जवान दाखिल हुए थे उसी रास्ते से बचकर निकल सकते थे
- यू शेप अम्बुश में जवान तीन तरफ से घिरे थे , बचने के लिए एक ही रास्ता था
- जिस रास्ते से जवान आये थे , उसी रास्ते से निकलकर बच सकते थे
- जीरागांव , जहाँ ये वारदात हुई वो जगह तीन तरफ पहाड़ों से घिरी है
- नक्सलियों ने पहले ही इस गांव में यू शेप अम्बुश लगा रखा था
- जवान जैसे ही गांव में दाखिल हुए , नक्सलियों ने तीन तरफ से गोली बरसानी शुरू कर दी
- जवान बचने के लिए मुड़े , लेकिन नक्सलियों ने यू शेप घेरा बना लिया
- जवान - नक्सलियों द्वारा बनाये यू शेप घेरे में फंस चुके थे