छत्तीसगढ़ में नक्सलियों केे हमले को क्या रोका जा सकता था? इस मामले में खुफिया सूत्रों के हवाले से यह पता लगा है कि सुरक्षा बलों पर हमले की धमकी पहले ही एक पत्र के माध्यम से मिली थीै. पत्र में लिखा था, स्थानीय लोगों का शोषण कर रहे हैं और उनके लिए समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. गौरतलब है कि बुधवार को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जिले में अरनपुर रोड पर आईडी हमले में जिला रिजर्व गार्ड के 10 जवान शहीद हो गए. इससे पता चलता है कि चेतावनी को नजरअंदाज किया गया. तलाशी अभियान के दौरान स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर का पालन नहीं किया जा सका. एक साल तक शांत रहने के बाद जिले में नक्सलियों ने यह आईईडी विस्फोट किया गया. इसमें डीआरजी के 10 कर्मियों समेत एक नागरिक की मौके पर ही मौत हो गई.
प्रोटोकॉल के अनुसार, सुरक्षा बल इस तरह की धमकी मिलने के बाद अपने रूट को अच्छे से परखते हैं. इसके बाद ही आगे बढ़ते हैं. कभी-कभी सुरक्षा बल रोड ओपनिंग पार्टी की भी सहायता लेते हैं. वे यह सुनिश्चित करते हैं कि काफिले को किसी तरह का कोई खतरा तो नहीं.
टीम को आगे बढ़ने से रोक नहीं
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डीआरजी की टीम जब मुख्यालय की ओर बढ़ रही थी, तब रूट को लेकर किसी तरह का अलर्ट नहीं जारी किया गया. सूत्रों के अनुसार, डीआरजी ने नक्सल विरोधी गतिविधियों का पता होने के बाद भी टीम को आगे बढ़ने से रोक नहीं. अरनपुर रोड पर रखे एक आईईडी में धमाके के बाद , एक जवान समेत चालक की मौत हो गई.
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने बुधवार को डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड फोर्स के जवानों को अपना शिकार बनाया. उन्होंने आईईडी से जवानों की गाड़ी को उड़ा दिया. इसमें 10 जवान और एक वाहन चालक शहीद हो गए. आईईडी का विस्फोट इतना घातक था कि जवानों से भरी गाड़ी के परखच्चे उड़ गए. सड़क गहरा गड्डा हो गया. इस में एक वीडियो भी सामने आया है.
HIGHLIGHTS
- आईडी हमले में जिला रिजर्व गार्ड के 10 जवान शहीद हो गए
- रूट को लेकर किसी तरह का अलर्ट नहीं जारी किया गया
- गतिविधियों का पता होने के बाद भी टीम को आगे बढ़ने से रोक नहीं