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पहले चरण के चुनाव से पहले छत्‍तीसगढ़ के नारायणपुर में 62 नक्सलियों ने किया सरेंडर

छत्‍त्‍ाीसगढ़ के घोर नक्‍सल इलाके में 12 नवंबर को पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे. इस इलाके में नक्‍सलियों ने विधानसभा चुनाव बहिष्‍कार का ऐलान कर रखा है. कुछ दिन पहले नक्‍सली कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. एक कैमरामैन समेत कई जवानों की जान लेने के बाद नारायणपुर में 62 नक्सलियों ने आज पुलिस के सामने हथियार डाल दिए.

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Drigraj Madheshia
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पहले चरण के चुनाव से पहले छत्‍तीसगढ़ के नारायणपुर में 62 नक्सलियों ने किया सरेंडर

नारायणपुर में 62 नक्सलियों ने किया सरेंडर

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छत्‍त्‍ाीसगढ़ के घोर नक्‍सल इलाके में 12 नवंबर को पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे. इस इलाके में नक्‍सलियों ने विधानसभा चुनाव बहिष्‍कार का ऐलान कर रखा है. कुछ दिन पहले नक्‍सली कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. एक कैमरामैन समेत कई जवानों की जान लेने के बाद नारायणपुर में 62 नक्सलियों ने आज पुलिस के सामने हथियार डाल दिए.

छत्‍तीसगढ़ के नारायणपुर में 62 नक्सलियों ने आज सरेंडर कर दिया है. एसपी नारायणपुर के सामने किया समर्पण करने वाले सभी नक्‍सली जनताना सरकार जन मिलिशिया के सदस्य थे. आई जी बस्तर विवेकानंद की मौजूदगी में नक्सलियों ने 51 हथियार भी सरेंडर किए है.

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बता दें छत्तीसगढ़ में आरंभिक चरण में 12 नवंबर को छत्तीसगढ़ में मतदान होगा, जिसमें जिसमें भारत में नक्सलियों का केंद्र बस्तर इलाका भी शामिल है. करीब 40,000 वर्ग किलोमीटर में फैले बस्तर इलाके में लौह-अयस्क का प्रचुर भंडार है. जनजाति बहुल इस इलाके में 12 विधानसभा क्षेत्र हैं. 1980 के दशक के आखिर से यह बड़े नक्सलियों का पनाहगाह रहा है. केंद्र सरकार ने बस्तर में नक्सलियों का उन्मूलन करने के लिए राज्य के 25,000 पुलिसकर्मियों के अलावा अर्धसैनिक बल के करीब 55,000 जवानों को तैनात कर रखा है.

प्रदेश खुफिया विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "बस्तर में नक्सली अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनके प्रभाव का क्षेत्र काफी सिमटकर रह गया है लेकिन चुनाव की गहमागहमी के दौरान वे कुछ बड़ा नुकसान पहुंचाने की फिराक में हैं. वे या तो राजनेता, नौकरशाह, सुरक्षाकर्मी, मतदानकर्मियों या मीडिया के लोगों को बड़ा शिकार बनाना चाहते हैं, क्योंकि चुनाव को लेकर इलाके में इनकी आवाजाही शुरू हो गई है."  बस्तर स्थित काउंटर टेररिज्म एंड जंगल वारफेयर कॉलेज (सीटीजेडब्ल्यूसी) के निदेशक ब्रिगेडियर बी. के. पोनवर (अवकाश प्राप्त) ने कहा, "उनकी भर्ती पूरी तरह खत्म हो चुकी है. हथियारों की आपूर्ति बंद हो चुकी है. सबसे अहम बात यह कि बुजुर्ग हो चुके नक्सली नेता लोग गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं. इस प्रकार वे हिंसक आंदोलन को अंजाम देने लायक नहीं रह गए हैं."

Source : News Nation Bureau

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