राजधानी रायपुर (Raipur) स्थित दाऊ कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी (डीकेएस) अस्पताल प्रकरण से बैंकों में सरकार की छवि पर विपरीत असर पड़ा है. मामले में एजीएम स्तर के अफसर की गिरफ्तारी के बाद पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने छत्तीसगढ़ सरकार का 720 करोड़ का लोन रोक दिया है. बैंक अब लोन की राशि जारी करने से पहले सरकार से गारंटी मांग रही है. साथ ही बैंक इस लोन के दस्तावेजों की नए सिरे से जांच भी कर रही है. सूत्रों के अनुसार पीएनबी की इस कार्यवाही का सरकार की क्रेडिट पर असर पड़ेगा और दूसरे बैंकों से भी लोन लेने में दिक्कत हो सकती है. उल्लेखनीय है कि पीएम आवास समेत कई योजनाओं के लिए सरकार लोन लेने की तैयारी में है.
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अटल नगर के लिए स्वीकृत हुआ था लोन
अफसरों के अनुसार, विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सरकार ने पीएनबी (PNB) से 820 करोड़ रुपये के लोन का एग्रीमेंट किया था. इस राशि अलट नगर यानी नया रायपुर में अधोसंरचना का विकास के लिए ली जा रही थी. इसमें 100 करोड़ रुपये बैंक ने जारी कर दिया था. इस बीच चुनावी आचार संहिता के कारण मामला रुक गया. राज्य में नई सरकार आते ही डीकेएस अस्पताल का लोन विवाद शुरू हो गया.
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क्या है डीकेएस अस्पताल विवाद
पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में रायपुर स्थित डीकेएस अस्पताल (DKS Hospital) को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने का फैसला हुआ. इसके लिए पीएनबी से लोन लिया गया. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दमाद डॉ. पुनीत गुप्ता इस अस्पताल के अधीक्षक बनाए गए. आरोप है कि अस्तपाल के पुर्ननिर्माण व उपकरणों की खरीदी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई. नई सरकार ने इस मामले की जांच पुलिस को सौंप दी. पुलिस ने हाल ही में पीएनबी के तत्कालनी एजीएम को दिल्ली से गिरफ्तार किया है.
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पीएम आवास के लिए 900 करोड़ की दरकार
छत्तीसगढ़ सरकार को प्रधानमंत्री आवास (ग्रामीण) के लिए 900 करोड़ रुपये की दरकार है. सरकार ने इसके लिए टेंडर जारी कर बैंकों से प्रस्ताव मांगा है. विभागीय सूत्रों के अनुसार पीएनबी प्रकरण के बाद इसमें भी दिक्कत आ सकती है.
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