दंतेवाड़ा उपचुनाव के लिए मतदान शुरू, भूपेश बघेल और रमन सिंह की साख दांव पर

इस सीट पर उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला आज ईवीएम में बंद हो जाएगा.

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
दंतेवाड़ा उपचुनाव के लिए मतदान शुरू, भूपेश बघेल और रमन सिंह की साख दांव पर
Advertisment

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर के दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र पर उपचुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है. आज सुबह 7 बजे से दोपहर 3 बजे तक मत डाले जाएंगे. इस सीट पर उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला आज ईवीएम में बंद हो जाएगा. कांग्रेस और भाजपा ने महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. दोनों ही महिलाओं ने अपने-अपने पतियों को नक्सली हिंसा में खोया है. दोनों दलों ने सहानुभूति बटारने में की पूरी कोशिश की है. बीजेपी ने भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी को मैदान में उतारा है. भीमा की नक्सली समूह ने लोकसभा चुनाव के दौरान हत्या कर दी थी. दूसरी ओर कांग्रेस ने देवती कर्मा पर दांव लगाया है. देवती कर्मा भी नक्सली हिंसा का शिकार बने महेंद्र कर्मा की पत्नी हैं. महेंद्र कर्मा की झीरम घाटी हमले में जान गई थी.

यह भी पढ़ेंः अबकी बार ट्रंप सरकार, सुनकर खुश हुए अमेरिकी राष्‍ट्रपति

दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में कुल 188,263 मतदाता मतदान के पात्र हैं. इनमें 89,747 पुरुष मतदाता तथा 98,876 महिला मतदाता शामिल हैं. क्षेत्र में मतदान के लिए 273 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं. मतगणना 27 सितंबर को होगी. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की देवती कर्मा भाजपा के भीमा मंडावी से 2,172 मतों से हार गई थीं. दंतेवाड़ा सीट, बस्तर क्षेत्र की 12 सीटों में से एकमात्र ऐसी सीट थी, जिस पर भाजपा जीती थी. इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में देवती कर्मा ने भीमा मंडावी को हराया था. बीते चार विधानसभा चुनाव में दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस को जीत मिली है. राज्य में दिसबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 90 में से 68 स्थानों पर जीत मिली थी. उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को विधानसभा जैसी बढ़त नहीं मिली. राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से सिर्फ दो स्थानों पर कांग्रेस जीत हासिल कर पाई थी.

यह उपचुनाव कहने के लिए तो एक विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव है, मगर इससे सत्ताधारी दल कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता डॉ. रमन सिंह की साख दांव पर है. दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र किसी भी राजनीतिक दल का गढ़ नहीं रहा है, यही कारण है कि यहां दोनों दलों ने जोर लगाने में कसर नहीं छोड़ी है. चुनाव प्रचार के दौरान वे सभी पैंतरे आजमाए गए, जिनसे चुनाव में मदद मिलने की गुंजाइश थी. सेाशल मीडिया पर कथित ऑडियो और वीडियो भी वायरल हुए, दोनों ओर से एक-दूसरे पर हर संभव हमले किए गए. दोनों दल अब भी जीत-हार का गणित लगाने में जुटे हुए हैं.

यह भी पढ़ेंः 'हाउडी मोदी' के रंग में रंगे मोदी सरकार के मंत्री और नेता, बनाया प्रोफाइल पिक

भाजपा के वरिष्ठ नेता श्रीचंद सुंदरानी का कहना है कि दंतेवाड़ा में हार को करीब देखकर कांग्रेस ने षड्यंत्रों का सहारा लिया है. इस चुनाव के दौरान लोगों को डराने-धमकाने के लिए प्रशासनिक मशीनरी का भी दुरुपयोग किया गया.  वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता शैलेंद्र नितिन त्रिवेदी कहते हैं कि वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने किसान, आदिवासियों के हित में अनेक फैसले लिए हैं, दूसरी ओर भाजपा ने चुनाव की कमान ऐसे लोगों के हाथ में सौंपी, जो दागदार है. इसका असर चुनाव पर साफ नजर आएगा.

राजनीति के जानकार मानते हैं कि यह चुनाव दोनों दलों के प्रमुख नेताओं की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने-अपने उम्मीदवारों के नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक में पूरी सक्रियता दिखाई. दोनों नेताओं ने अपने-अपने करीबियों को अंतिम समय तक क्षेत्र में लगाए रखा. राजनीतिक विश्लेषक प्रमोद शर्मा कहते हैं, 'यह चुनाव दोनों ही प्रमुख दलों के लिए महत्वपूर्ण है. विधानसभा की एक सीट की हार जीत से सरकार के भविष्य पर तो कोई असर नहीं होगा, मगर संदेश बड़ा जाएगा. क्योंकि विधानसभा में कांग्रेस जीती थी, लोकसभा में भाजपा और अब उपचुनाव के नतीजे, हारने वाले के सामने सवाल खड़ा करने वाला होगा. इस नतीजे का असर आगामी समय में होने वाले नगरीय निकायों के चुनाव पर भी पड़ सकता.'

Source : आईएएनएस

chhattisgarh Dantewada Dantewada By Elections Dantewada Elections
Advertisment
Advertisment
Advertisment