राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को बड़ा फेरबदल करते हुए रमेश बैस को त्रिपुरा का राज्यपाल बनाया है. रमेश बैंस आडवाणी ग्रुप के माने जाते रहे हैं और सुषमा स्वराज के बेहद करीबी रहे हैं. वो 7 बार सांसद रह चुके हैं. रमेश बैंस ने पार्षद से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. रमेश बैस को इस बार लोकसभा का टिकट नहीं मिला था, जिसकी वजह से उनके समर्थक मायूस थे. लेकिन विपरीत समय में भी धैर्य नहीं खोने का प्रतिफल अब रमेश बैस को राज्यपाल के तौर पर मिला है. इससे उनके समर्थकों में खुशी की लहर है.
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त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त होने पर रमेश बैस ने बताया कि उन्हें दो दिन पहले प्रधानमंत्री का फोन आया था कि वह छत्तीसगढ़ से बाहर जाना चाहेंगे. रमेश बैस ने बोला कि पार्टी जो काम देगी उसे वह पूरी निष्ठा से निभाएंगे. रमेश बैस की मानें तो त्रिपुरा चुनौतीपूर्ण है और रायपुर से अलग है, लेकिन नई जगह है तो नए सिरे से काम करेंगे और वहां की चीज़ों को समझेंगे.
बैस लोकसभा में लंबे समय तक रायपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. 1989 में रायपुर से पहली बार लोकसभा पहुंचे. इसके बाद 11वीं, 12वीं, 13वीं, 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए. रमेश बैस ने भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कार्य किया. लेकिन 17वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उनके स्थान पर सुनील सोनी को टिकट दिया था. बैस 1978 में रायपुर नगर निगम के लिए चुने गए थे और 1980 से 1984 तक मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य थे.
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छत्तीसगढ़ में जन्मे रमेश बैस अब त्रिपुरा के राज्यपाल होंगे राज्यपाल बनाए जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और मंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. शिक्षा और सहकारिता मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया है, यह साफ नजर आ रहा है.
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