छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) शिविर के ऊपर एक ड्रोन जैसी चीज देखी गई है. इसी तरह के प्रकाश उत्सर्जक वस्तु को पिछले साल अक्टूबर में तीन बार जिले के सीआरपीएफ शिविरों के पास उड़ान भरते देखा गया था. सुकमा (Sukma) के पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने इसकी पुष्टि की है और बताया कि अति संवेदनशील दोरनापाल-जगरगुंडा इलाके में सीआरपीएफ के पुसवाड़ा शिविर के ऊपर आकाश में लगभग 15 मिनट तक एक ड्रोन (Drone) जैसी वस्तु देखी गई.
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पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने बताया, 'हमने उसकी गतिविधियों का पता लगाने के लिए अपना यूएवी (मानव रहित आकाशीय वाहन या ड्रोन) भेजा. हालांकि संदिग्ध ड्रोन की रोशनी बंद हो गई और वह गायब हो गया. यह वस्तु अक्टूबर में जिले के किस्ताराम और पल्लोड़ी क्षेत्र में सुरक्षा बलों के शिविरों के ऊपर देखी गयी चीज की तरह ही थी. अभी यह अनिश्चित है कि क्या माओवादी इन ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं.' बता दें कि सुकमा राजधानी रायपुर से करीब 400 किलोमीटर दूर है और यह देश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल है. इस जिले की सीमा ओड़िसा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से जुड़ी हुई है.
बस्तर में नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसी खबर है कि नक्सल अपने निचले कैडर के मनोबल को बढ़ाने के लिए यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके पास हाईटेक उपकरण हैं. उन्होंने कहा कि नक्सलियों का प्रभाव वाले इलाकों में उन्हें सुरक्षा बलों के शिविरों का पता लगाने के लिए ड्रोन की जरूरत नहीं है. अधिकारी ने कहा कि ऐसा भी नहीं लगता कि नक्सल सुरक्षा बलों की गतिविधियों का पता लगाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि ड्रोन को आसानी से मार गिराया जा सकता है.
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उन्होंने कहा, 'लेकिन हम में हमें खबर मिली है कि नक्सलियों ने दूरदराज के गांवों में निचले कैडर को पुलिस शिविरों का वीडियो दिखाया है, जो हो सकता है कि ड्रोन से रिकॉर्ड किया गया हो.' वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसका मकसद अपनी ताकत को दिखाना और अपने कैडर के मनोबल को बढ़ाना हो. उन्होंने कहा कि शिविरों के ऊपर ड्रोन उड़ाकर सुरक्षा बलों पर 'मनोवैज्ञानिक दबाव' बनाने का इरादा भी हो सकता है.