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हाथियों के आतंक के साये में जीने को मजबूर आदिवासी, सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद

छत्तीसगढ़ मैनपुर विकासखंड में हाथियों के आतंक के चलते दर्जनों गांव के लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर हैं. दोपहर 3 बजे के बाद अपने घरों से नहीं निकल पा रहे हैं.

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Mohit Saxena
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छत्तीसगढ़ मैनपुर विकासखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लगभग एक दर्जन से ज्यादा ग्रामों के हजारों आदिवासी पिछले 15-20 दिनों से हाथियों के आतंक के साये में जीने को मजबूर हैं. ग्रामीण रात में अपना घर छोड़कर दूसरों के पक्के मकानों के छतों मे या पानी टंकी के छत पर बिता रहे हैं. यहां  अब तक सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है, तो वहीं कई लोगों के घरों को हाथियों ने उजाड़ दिया है. इन स्थितियों के बीच बिंद्रा नवागढ़ के विधायक जनक लाल ध्रुव इन दर्जनों गांव का दौरा किया. मोटरसाइकिल से नदी नालों को पैदल पार कर गांव में पहुंच ग्रामीणों का दुख दर्द सुनकर उन्होंने कहा कि वह लौटते ही वन मंत्री और मंत्रालय पहुंचकर उन्हें जल्द से जल्द राहत के रूप में मुआवजा राशि दिलवाएंगे.

फसल को हो रहा नुकसान 

हाथियों के आतंक के चलते दर्जनों गांव के लोग अपनी जान बचाने दोपहर 3 बजे के बाद अपने घरों से नहीं निकल पा रहे हैं, हाथियों का दल प्रभावित ग्रामों मे लगातार पहुंच कर सैकड़ों एकड़ धान, मक्का, दलहन, तिलहन एवं सब्जी की फसल को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं. ग्रामीणों ने विधायक को बतलाते हुए कहा हमें हाथियों के आतंक से बचाया जाए सैकड़ों एकड़ फसल को हाथियों ने बर्बाद कर दिया है.

वाहन की भी सुविधा नहीं है

वन विभाग की ओर से अब तक मुआवजा राशि नही दिया गया है. हाथी प्रभावित ग्रामों मे वन विभाग के अधिकारी पहुंच भी नहीं रहे हैं, सिर्फ सड़क से फोटो खींचवाकर चले जा रहे है. ग्रामीणों को उनके हाल मे जीने छोड़ दिया गया है, ग्राम छिन्दौला मे हाथी मित्र दल के सदस्यों ने विधायक को अपना दर्द बताते हुए कहा, कि पिछले 9 माह से विभाग द्वारा मजदूरी राशि नही दी गई है और वाहन की भी सुविधा नहीं है. 

सैकड़ों एकड़ धान और मक्का की फसल बर्बाद

साथ ही हाथी से बचाव के लिए जो टॉर्च, सिटी स्पीकर से लोगों को बतलाने दिया जाता है, वह भी उपलब्ध नहीं कराया गया है. विधायक जनक ध्रुव ने विभाग के अफसरो पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा हाथी प्रभावित गांवो में वन विभाग द्वारा सुरक्षा की कोई सुविधा मुहैया नहीं करायी गई है. सैकड़ों एकड़ धान और मक्का की फसल बर्बाद हो गई है, इन्हें मुआवजा राशि भी अब तक नहीं मिला है. इस संबंध में वे वन मंत्री से मुलाकात कर शिकायत करेंगे, तथा मंत्रालय में भी अधिकारियों को अवगत करा जल्द से जल्द राहत दिलाने का प्रयास करेंगे.

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