छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण के नाम पर एजेंसियों ने कागजों पर खुद ही नट-बोल्ट कस दिए. बिजली की ट्रेनिंग के लिए कागज में वायरिंग का प्रशिक्षण दिखा दिया. ऐसे ही दूसरे सेक्टर में भी युवाओं को कागज पर प्रशिक्षण दिया गया है. सरकार ने जब एजेंसियों के कामों की धरातल पर जांच शुरू की तो फर्जीवाड़े का यह मामला सामने आया. सरकार ने अभी 31 एजेंसियों पर पाबंदी लगा दी है, उन्हें मिलने वाले अनुदान की राशि और व्यय राशि की भी जांच शुरू कर दी है.
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राज्य कौशल विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि गड़बड़ी करने वाली एजेंसियों की संख्या और ज्यादा होगी, क्योंकि अभी बिलासपुर, कोरबा, बस्तर, सरगुजा समेत कुछ और जिलों में जांच बाकी है. कौशल विकास का प्रशिक्षण देने वाली एजेंसियों पर प्रदेश में यह पहली कार्रवाई है.
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बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण देने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया था. इसमें एजेंसी नियुक्त करके हर जिले में बेरोजगार युवाओं को निशुल्क प्रशिक्षण दिलाया जाता है. प्रशिक्षण देने वाली एजेंसियों को सरकार भुगतान करती है.
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प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कौशल विकास के नाम पर करोड़ों का काम कागजों पर होने की शिकायत मिली थी. उसके बाद कौशल विकास मंत्री उमेश पटेल ने विभाग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को जांच करने के निर्देश दिए थे.
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