छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के वनांचल में रहने वाले सुरेश बेलसरिया गर्भवती महिलाओं के लिए किसी फरिस्ता से कम नहीं है. एक वक्त ऐसा भी था जब सुरेश बेरोजगारी की जिंदगी जीता था, लेकिन कुछ महीने में सुरेश वनांचल इलाके के लोगों के बीच फरिस्ता बन गया है और उसका सबसे बड़ा कारण है बाइक एम्बुलेंस से सैकड़ों महिलाओं की जान बचाना. जी हां जब कलेक्टर ने बाइक एम्बुलेंस की शुरुआत की तो सुरेश को चालक की जिम्मेदारी मिली. उसके बाद से सुरेश ने अकेले ही 100 से भी अधिक गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाया, वो भी महज 6 महीने में. ऐसे में वनांचल के महिलाओं के साथ ही साथ जिले के कलेक्टर भी बाइक एम्बुलेंस चालक सुरेश की खूब तारीफें कर रहे हैं.
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दरअसल, कवर्धा जिले के दूरस्थ इलाकों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को तत्काल और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिले के कलेक्टर अवनीश शरण ने कुछ महीने पहले निशुल्क बाइक एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की थी. अब यह बाइक एम्बुलेंस वनांचल के पहुंचविहीन इलाके के लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है. कुछ ही महीनों में 500 से अधिक गर्भवती महिलाएं बाइक एम्बुलेंस का लाभ ले चुकी हैं.
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कवर्धा जिले के अधिकांश क्षेत्र वनांचल इलाके में बसता है. जहां बैगा आदिवासी समुदाय के लोग बसते हैं. इस इलाके में सड़क के अभाव है. स्वास्थ्य सेवा का लाभ भी इन गरीबों को नहीं मिल पाता. शासन द्वारा बेहतर स्वास्थ्य लाभ दिलाने के उद्देश्य से 108 एम्बुलेंस जैसी सेवा की शुरुआत की गई, लेकिन सड़क के अभाव में वनांचल के अधिकांश गांवों में 108 एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती थी. ऐसे में जिले के कलेक्टर अवनीश शरण ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य कुछ महीने पूर्व बाइक एम्बुलेंस की शुरुआत की, ताकि पहुंचविहीन गांव में निवासरत गर्भवती महिलाओं को तत्काल सुविधा मिल सके. जिले में कुल 5 बाइक एम्बुलेंस संचालित हैं, जो कुछ ही महीनों में अब तक 500 से अधिक गर्भवती महिलाओं की जान बचाने में सफल हुई हैं.
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