दिल्ली हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के खिलाफ दो साल के एक बच्चे ने एक याचिका दायर की है. याचिका में दिल्ली सरकार द्वारा अनलॉक 1.0 के दौरान पाबंदियों में ढील देने से पैदा होने वाले खतरे का जिक्र करते हुए कहा गया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के बिना लक्षण वाले मरीजों की जांच नहीं करने से बच्चों के समक्ष खतरा पैदा हो गया है. याचिका में कहा गया है कि बिना लक्षण वाले मरीजों की जांच बंद करने और अस्पतालों में बेड तथा वेंटिलेटर की कमी से हालात बिगड़ गए हैं.
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बच्चे ने पिता के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि वह एक संयुक्त परिवार में रहता है, जिसके सदस्य काम पर जाते हैं. वे दिल्ली सरकार द्वारा सोमवार से प्रभावी 'अन-लॉकडाउन' के कारण रोजाना दफ्तर जाएंगे, इससे उसे और अन्य बच्चों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का काफी खतरा है. आज दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की एक पीठ के समक्ष याचिका को सुनवाई के लिए लिस्टेड किया गया है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 8 जून से दिल्ली में शॉपिंग मॉल्स, रेस्टोरेंट और मंदिर आमलोगों के लिए खोलने की घोषणा की थी, लेकिन होटल और बैंक्वेट हॉल पूर्व की तरह ही बंद रहेंगे. केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले अस्पतालों में सभी बेड दिल्ली के निवासियों के लिए सुरक्षित रहेंगे, जबकि केंद्र के अंतर्गत आने वाले हॉस्पिटल्स दिल्ली के बाहर वालों के लिए भी होंगे.
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हालांकि एलजी ने अरविंद केजरीवाल सरकार के फैसले को पलट दिया था. शॉपिंग मॉल्स और रेस्टोरेंट खुलने से सड़कों और मार्केट्स में लोगों की आवाजाही ज्यादा बढ़ गई है. इससे संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ गया है.
Source : News Nation Bureau