साल 2009 में 24 साल की एमबीए की छात्रा के साथ हुए बलात्कार में सभी अभियुक्तों को दिल्ली की अदालत ने सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया है।
छात्रा अपने दोस्त के साथ नोएडा के माल से घर लौट रही थी उस समय उसके साथ बलात्कार हुआ था।
स्पेशल जज शैल जैन ने सभी अभियुक्तों को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया।
अभियोजन के अनुसार 5 जनवरी, 2009 को जब छात्रा अपने दोस्त के साथ नोएडा के जीआईपी मॉल से कार से वापस लौट रही थी, तब 11 लोगों ने उसकी कार को जबरदस्ती रोककर अगवा करके नोएडा के एक गांव गढ़ी चौखंडी ले गए थे और बारी बारी से रेप किया।
इस मामले में छात्रा के दोस्त ने नोएडा में मामल दर्ज़ किया था।
इस मामले में पुष्पेंदर उर्फ टुइयां, गौतम, सुधीर, संजय, लिटिल, ओंकार, पुष्पेंदर, शशिकांत, गोलू और एक नाबालिग के खिलाफ मामला दर्ज़ किया गया था। ये सभी गढ़ी चौखंडी के निवासी हैं और इस समय वे जमानत पर थे। टुइयां की मौत ट्रायल के दौरन ही हो गई थी।
छात्रा के दोस्त ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि मामले की सुनवाई दिल्ली की अदालत में की जाए क्योंकि उसकी जान को खतरा हो सकता है। उसने कहा था कि उस पर केस वापस लेने का दबाव भी बनाया जा रहा है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई तीस हज़ारी कोर्ट में करने के निर्देश दिये थे।
अभियुक्तों के वकील ने प्रदीप शर्मा ने कहा कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ झूठा आरोप लगाया गया था। इनके खिलाफ किसी तरह का सबूत नहीं था।
हालांकि केस वापस लेने के दबाव के कारण रेप के बाद पीड़ित छात्रा लंदन चली गई थी और उसने 2012 में कहा था कि सभी बलात्कारियों की पहचान की थी।
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Source : News Nation Bureau