देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से हाहाकार मचा हुआ है. दिल्ली के रोहिणी स्थित जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 25 मरीजों की मौत हो गई. अस्पताल में भर्ती 200 से ज्यादा मरीज जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. बीतते वक्त के साथ उनके बचने की उम्मीद कम होती जा रही थी. हालात यह थे कि अस्पताल के पास महज कुछ मिनट की ही ऑक्सजीन बाकी थी. इसी बीच एक टैंकर अस्पताल पहुंचा. इससे डॉक्टर और मरीजों के तीमारदारों ने राहत की सांस ली. यह टैंकर पहुंचने में जरा भी देरी होती तो कई और मरीजों की जान पर बन आती.
अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ डी के बलूजा ने बताया कि भंडार कम होने की वजह से ऑक्सीजन का दबाब घट गया है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में करीब 200 मरीज भर्ती हैं और उनके पास 10 बजकर 45 मिनट पर केवल आधे घंटे की ऑक्सीजन शेष थी. इसी बीच एक टैंकर ऑक्सीजन पहुंची है. इससे काफी राहत मिलेगी. हालांकि एक टैंकर की जल्द मांग की गई है. कई घंटों की देरी के बाद अस्पताल को ऑक्सीजन की अंतिम रिफिल मध्यरात्रि में प्राप्त हुई थी. सरकार से किसी तरह की मदद मिली है, यह पूछे जाने पर चिकित्सा निदेशक ने कह कि किसी ने भी कोई वादा नहीं किया है. हर कोई कह रहा है कि हम भरसक कोशिश कर रहे हैं. डॉ बलूजा ने कहा कि अस्पताल में भर्ती करीब 200 मरीजों में से 80 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन पर हैं. करीब 35 मरीज आईसीयू में हैं.
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वहीं दिल्ली के बत्रा अस्पताल में भी ऑक्सीजन की कमी है. हालांकि सुबह 10 बजे अस्पताल में ऑक्सीजन का एक टैंकर पहुंच गया है. बत्रा अस्पताल के MD डॉक्टर एससीएल गुप्ता ने कहा कि अस्पताल को 500 किलोग्राम ऑक्सीजन ट्रक के जरिए पहुंचाई जा रही है, जो ऑक्सीजन मिलने के बाद अगले 1 घंटे के लिए काफी रहेगी. अस्पताल में 260 मरीज भर्ती हैं.
हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
ऑक्सीजन की कमी को लेकर आज महाराजा अग्रसेन अस्पताल ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया. अस्पताल ने कहा कि हमारे पास 306 कोरोना के मरीज हैं. हमको ऑक्सीजन नहीं मिली तो हमें उन्हें डिस्चार्ज करना पड़ेगा. इसके बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि जिम्मेदारी आपकी सरकार की बनती है, आप भी खुद का ऑक्सीजन प्लांट लगाइए.