पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में उन्हें और अन्य को बरी किये जाने के विरूद्ध सीबीआई की अपील नये भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रभाव में आ जाने के बाद बेमतलब है. राजा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से कहा कि इस मामले में उनके और अन्य के विरूद्ध लगाये गये आरोप 2018 के नये भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम में हट गये हैं इसलिए इस मामले में अब मुकदमा नहीं चल सकता . राजा के अलावा उनके तत्कालीन निजी सचिव आर के चंडोलिया और पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा ने भी अपने अपने आवेदनों में यह मुद्दा उठाया है.
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न्यायमूर्ति ब्रिजेश सेठी के समक्ष संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सीबीआई ने दलील दी कि ये आवेदन विचार योग्य नहीं है क्योंकि यह मुद्दा एजेंसी की अपील पर दाखिल किये गये जवाबों में उठाया गया है. लेकिन सीबीआई के इस तर्क का सिंघवी ने विरोध किया और उन्होंने कहा कि इस खास मुद्दे, कि नये कानून के आलोक में पुराने मामलों का क्या हो, को निचली अदालत ने उच्च न्यायालय के पास भेजा है और वह अब भी यहां लंबित है.
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उन्होंने कहा कि इसके अलावा, नये भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के बदलावों को भी उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी है जो अब भी वहां लंबित है, ऐसी परिस्थिति में उच्च न्यायालय इस मुद्दे को उच्चतम न्यायालय के पास भेज सकता है. न्यायमूर्ति सेठी ने संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई 31 जनवरी के लिये स्थगित कर दी. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने टू जी घोटाला मामले एवं धनशोधन मामले में निचली अदालत द्वारा सभी व्यक्तियों एवं कंपनियों को बरी किये जाने को चुनौती दी है. विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को इस घोटाले से जुड़े सीबीआई और ईडी मामलों में राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई और अन्य को बरी कर दिया था.