भारत में कोरोना वायरस जीनोम्स में 72 राष्ट्रों से 5.39 प्रतिशत बदलाव समानता : अध्ययन

अध्ययन में यह भी सामने आया कि अमेरिका, ब्रिटेन और भारत तीन शीर्ष राष्ट्र हैं जिनकी 72 अन्य देशों के साथ कोरोना वायरस के जीनोम में बदलाव की समानता अंक का ज्यामितीय मध्य क्रमश: 3.27 प्रतिशत, 3.59 प्रतिशत और 5.39 प्रतिशत है.

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Ravindra Singh
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कोरोना वायरस ( Photo Credit : आईएएनएस)

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भारत में कोरोना वायरस जीनोम्स में 72 राष्ट्रों से 5.39 प्रतिशत बदलाव समानता है. यह खुलासा शोधकर्ताओं के एक समूह के नए अध्ययन से हुआ है जो कोविड-19 के खिलाफ जंग के श्रेष्ठ संभावित जवाब की तलाश में विषाणु और इंसानों में आनुवांशिक परिवर्तनशीलता और संभावित आण्विक लक्ष्यों का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं. एक जीव की आनुवांशिक सामग्री में बदलाव, कोशिका के अपनी प्रतिकृति बनाने की प्रक्रिया के दौरान होने वाली प्राकृतिक ‘त्रुटियां’ हैं जो विषाणु को जीवित रहने, उसकी संक्रामकता और प्रभाव को नई ‘ताकत’ दे सकती हैं.

यह विषाणु के प्रभाव को कम करने या इसके खिलाफ विशिष्ट प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बनाने के लिये टीकों और दवाओं की क्षमता को प्रभावित कर सकता है. अध्ययन में यह भी सामने आया कि अमेरिका, ब्रिटेन और भारत तीन शीर्ष राष्ट्र हैं जिनकी 72 अन्य देशों के साथ कोरोना वायरस के जीनोम में बदलाव की समानता अंक का ज्यामितीय मध्य क्रमश: 3.27 प्रतिशत, 3.59 प्रतिशत और 5.39 प्रतिशत है. कोलकाता स्थिति राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान में कंप्यूटर विज्ञान और अभियांत्रिकी विभाग में सहायक प्रोफेसर इंद्रजीत साहा और उनके दल ने वेब आधारित कोविड-पूर्वानुमान व्यक्त करने वाला उपकरण विकसित किया है जो मशीन अध्ययन के आधार पर विषाणु के ऑनलाइन क्रम के बारे में पूर्वानुमान व्यक्त करता है. 

अमेरिका में शोधकर्ताओं की एक टीम ने श्वसन प्रक्रिया वाले मार्ग की सार्स-कोव-2 संक्रमित कोशिकाओं की नई तस्वीरें प्रकाशित की हैं. ये तस्वीरें ग्राफिकल हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलाइना स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में हयूमन ब्रोन्कियल ऐपिथेलियल सेल्स में नए कोरोनावायरस का टीका लगाया और फिर 96 घंटे बाद इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग कर इसकी जांच की गई.

द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने अपने इस काम को 'इमेज इन मेडिसिन' में प्रकाशित किया है. बाल रोग के सहायक प्रोफेसर केमिली एहरे ने इन चित्रों को यह बताने के लिए प्रकाशित किया है कि सार्स-कोव-2 का संक्रमण कितना गहरा है. इन फोटो में संक्रमित कोशिकाओं को अलग-अलग रंगों में दर्शाया गया है. इसमें सिलिया कोशिकाएं बाल जैसी संरचनाएं हैं, जो फेफड़ों से बलगम (और फंसे हुए वायरस) का परिवहन करती हैं. वहीं वायरस संक्रमित मेजबान कोशिकाओं द्वारा श्वसन की सतह पर पाया गया वायरस का पूर्ण संक्रामक रूप हैं.

शोधकर्ताओं के अनुसार, यह फोटो जानने में मदद करेगी कि मानव श्वसन प्रणाली के अंदर प्रति सेल उत्पादित और जारी की गई वाइरन की संख्या कितनी है. बड़ा वायरल इंफेक्शन संक्रमित व्यक्ति के कई अंगों में संक्रमण फैला सकता है और संभवत: दूसरों में कोविड-19 ट्रांसमीट करने की आवृत्ति बढ़ाएगा. लेखकों ने लिखा है कि ये फोटो संक्रमित और असंक्रमित व्यक्तियों द्वारा सार्स-कोव-2 के ट्रांसमिशन को सीमित करने के लिए मास्क के उपयोग को लेकर अहमियत बताती हैं.

Source : News Nation Bureau

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