राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को कोरोनावायरस (Corona Virus) के 792 नये मामले सामने आये. यह मामलों में अभी एक दिन में सबसे अधिक वृद्धि है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने एक बुलेटिन में कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 303 हो गई जबकि कुल मामले बढ़कर 15,257 हो गए हैं. इससे पहले मामलों में सबसे अधिक वृद्धि 22 मई को हुई थी जब 660 नये मामले सामने आये थे. उसने हालांकि यह भी बताया कि मृतकों की सूची में वही लोग शामिल हैं जिनकी मौत प्राथमिक तौर पर कोरोना वायरस की वजह से हुई है. यह संख्या मृत्यु लेखा-जोखा समिति द्वारा विभिन्न अस्पतालों से हासिल किए गए आंकड़ों के आधार पर है.
समिति का गठन इस महीने की शुरुआत में किया गया था ताकि मौतों के कारणों की जांच की जा सके क्योंकि दिल्ली सरकार को उसके आंकड़े और अस्पतालों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के बीच अंतर होने के चलते आलोचना का सामना करना पड़ा था. एक अन्य घटनाक्रम में सफदरजंग अस्पताल ने दिल्ली सरकार द्वारा गठित मौतों का लेखा-जोखा रखने वाली समिति को सौंपी रिपोर्ट में बीते दो महीने में 52 लोगों की मौत के बारे में जानकारी दी है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने कहा कि समिति अस्पताल से मिली रिपोर्ट को देखेगी. इस रिपोर्ट में मृतकों की मौत की वजहों का जिक्र है जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मौत कोविड-19 की वजह से हुई है या नहीं. एक आधिकारिक सूत्र ने मीडिया को बताया, अब तक अस्पताल ने कोविड -19 (COVID-19) के कारण हुई चार मौत की रिपोर्ट भेजी थी.
सूत्रों ने कहा कि इससे शहर में मृतक संख्या में काफी बदलाव हो सकता है. सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बलविंदर सिंह ने मीडिया को बताया कि दिल्ली सरकार के अधिकारी बार-बार कोविड-19 से हुई मौत की जानकारी एकत्र करने वाली टीम को बदल रहे हैं जिसकी वजह से उनके खुद के कर्मियों में संवादहीनता की स्थिति है. सिंह ने कहा कि अस्पताल दैनिक आधार पर मृतकों की संख्या की जानकारी दे रहा है और एक फरवरी से 16 मई तक के संचित आंकड़े को गलत तरीके से एक दिन में हुई मौत का आंकड़ा समझ लिया गया जो बेहद त्रुटिपूर्ण था. उन्होंने कहा कि एक फरवरी से 16 मई तक दिल्ली सरकार को कोविड-19 संबंधित 53 मौत की जानकारी दी गई थी और 16 मई से 26 मई के बीच 16 और लोगों की जान गईं जिसकी वजह से अस्पताल में कोरोना वायरस के कारण मरने वालों की संख्या अब तक कुल 69 हुई.
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से मांगा कोविड-19 से हुई मौतों का आंकड़ा
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी अचानक कोविड-19 से होने वाली मौतों में तेजी को लेकर अस्पताल प्रबंधन से स्पष्टीकरण मांगा था और उसे उसी के मुताबिक जानकारी उपलब्ध कराई गई. स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार अभी तक सामने आये कुल 15,257 मामलों में से कम से कम 2,118 विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं जैसे एलएनजेपी, आरएमएल, सफदरजंग अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल और एम्स, झज्जर. इनमें से 191 आईसीयू में और 32 वेंटीलेटर पर हैं. दिल्ली में ऐसे मरीजों की संख्या 7,690 हैं जिनका अभी इलाज चल रहा है.
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दिल्ली पुलिस के डीसीपी भी कोविड-19 से संक्रमित पाए गए
ताजा मामलों में दिल्ली पुलिस के एक डीसीपी शामिल हैं. इससे पहले दिल्ली पुलिस के एक आईपीएस संक्रमित पाये गए थे. उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय के एक कनिष्ठ सहायक भी कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये हैं. नये मामलों में एनडीएमसी के तीन कर्मचारी भी शामिल हैं. इसके चलते एनडीएमसी ने लुटियन दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय इमारत का एक मंजिल सील कर दिया. साथ ही इसने गोल मार्केट में एक उस इमारत का एक हिस्सा भी सील कर दिया जिसमें उसका कार्यालय स्थित है.
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डिप्टी सीएम सिसोदिया ने एक हजार से अधिक स्कूलों से की बात
दिल्ली में निरुद्ध क्षेत्रों की संख्या 91 से बढ़कर 96 हो गई है. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 1000 से अधिक सरकारी स्कूलों के प्रचार्यों से संवाद किया और स्कूलों को फिर से खोलने के बारे में योजना के बारे मे चर्चा की. लॉकडाउन के चलते स्कूल दो महीने से अधिक समय से बंद हैं. सिसोदिया ने कहा, हम एक बहुत वृहद योजना प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं क्योंकि हमें कोई भी निर्णय लेने से पहले कई कारकों को ध्यान में रखना होगा. सवाल एक दूसरे से दूरी बनाये रखने, सेनिटाइजेश और किसी स्कूल के एक वर्ग की कक्षाओं को बुलाना और दूसरे को बुलाने का ही नहीं है. उन्होंने प्राचार्यों से कहा, किसी भी निर्णय का बच्चों और उनके परिवारों पर काफी दूरगामी प्रभाव होगा क्योंकि स्कूल हमारे सामाजिक जीवन एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों को खोलने का एक साझा योजना नहीं हो सकती क्योंकि प्रत्येक स्कूल का संदर्भ अलग है. वहीं एक अन्य आदेश में मुख्य सचिव देव ने प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित करें कि हाल में विदेश से लौटे और वर्तमान में भुगतान किये गए पृथक सुविधा केंद्र में रह रहे भारतीय नागरिकों को सात दिन का भुगतान वापस मिले क्योंकि उन्हें होटल में 14 दिन रहने की जरूरत नहीं है. यह कदम ऐसे समय आया है जब कुछ होटलों ने सात दिन का पैसा उन लोगों को वापस करने से इनकार कर दिया है जिन्होंने अग्रिम भुगतान करके 14 दिन के लिए पृथक इकाई बुक की थी.