आजकल मोबाइल फोन का उपयोग जहां जानकारी प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है, वहीं इसके नकरात्मक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं. ऑनलाइन गेमिंग और साइबर ठगी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जो विशेष रूप से युवाओं को अपनी जाल में फंसा रहे हैं. हाल ही में रेवाड़ी जिले में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें एक 18 साल के छात्र ने ऑनलाइन गेमिंग के चलते अपने परिवार की जिंदगी को दांव पर लगा दिया.
ऑनलाइन गेमिंग और साइबर ठगी
एक 18 वर्षीय छात्र ने मोबाइल फोन के जरिए ऑनलाइन गेम खेलने के चक्कर में सवा लाख रुपये खो दिए. बाद में उसने यह रकम सट्टेबाजों को देने के लिए अपनी मां के गहने चुरा कर बेच दिए. इस पूरी घटना को छिपाने के लिए उसने एक पत्र लिखा और अपने पिता को बताया कि अगर वे उसकी हरकत जानेंगे तो उसे मारेंगे. डर के चलते छात्र घर से फरार हो गया. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और छात्र की तलाश जारी है.
साइबर ठगी का बढ़ता खतरनाक असर
सिर्फ गेमिंग नहीं, बल्कि साइबर ठगी भी एक गंभीर समस्या बन गई है. पलवल जिले में दो युवकों को गिरफ्तार किया गया है, जो ऑनलाइन ठगी के जाल में फंसा रहे थे. ये दोनों युवक लोगों को लालच देकर उनके नाम से बैंक खाते खुलवाते थे, जिनके माध्यम से साइबर ठगों के पैसे ट्रांसफर होते थे. आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की गई और पुलिस ने उनके पास से कई चेकबुक, एटीएम कार्ड और धोखाधड़ी से संबंधित सामग्री बरामद की.
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
साइबर ठगों के खिलाफ पुलिस ने कारवाई करते हुए आरोपितों को गिरफ्तार किया. यह ठग विभिन्न साइबर गिरोहों के लिए काम कर रहे थे और लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल ठगी के पैसे निकालने के लिए कर रहे थे. पुलिस ने आरोपितों से पूछताछ की और पाया कि उन्होंने कई राज्यों में ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया था. इनके पास से साइबर ठगी से जुड़े व्हाट्सएप चैट भी मिले, जो इस गिरोह के बड़े नेटवर्क को उजागर कर रहे थे.
समाधान की जरूरत
इस बढ़ती हुई साइबर ठगी और ऑनलाइन गेमिंग की लत से निपटने के लिए सरकार और समाज को मिलकर कदम उठाने की जरूरत है. युवाओं को डिजिटल सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और ऑनलाइन गेमिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति उन्हें सचेत किया जाना चाहिए. इसके अलावा, साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि ऐसे अपराधों पर काबू पाया जा सके.