दिल्ली जल गुणवत्ता विवाद में आम आदमी पार्टी के विधायक दिनेश मोहनिया का बयान आया है जिसमें उन्होंने इस बात का दावा किया है कि जिन 11 जगहों के पानी के सैंपल टेस्ट के लिए भेजे गए थे उनमें से BIS के बाद दिल्ली जल बोर्ड ने भी सैंपल लिए गए जिसमें 8 सैंपल के पानी पीने लायक पाए गए. आपको बता दें कि इन 11 जगहों में से केंद्रीय मंत्री के घर से सैंपल नहीं मिल पाया, जबकि एक घर पर ताला लगा हुआ पाया गया जिसकी वजह से वहां से भी सैंपल नहीं मिल पाया. इनके अलावा जनता विहार से लिए गए सैंपल का पानी टेस्ट में फेल हो गया वहां का पानी पीने लायक नहीं था जबकि अन्य 8 जगहों से लिए गए पानी के सैंपल पीने के लायक मिले है. आप विधायक ने बाताया कि इन सैंपल्स को 3 लैब में चेक करके बताया गया कि ये सैंपल 29 से 31 पैरामीटर पर इस पानी के सैंपल टेस्ट करवाए गए हैं. आने वाले कुछ दिनों में पब्लिक नोटिस निकालकर ये बाताया जाएगा कि ये सैंपल किस इलाके से लिए जाएंगे.
इसके पहले गुरुवार को केन्द्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने दिल्ली के पानी की गुणवत्ता मामले में गुरुवार को अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वह उनके खिलाफ ‘निराधार आरोप’ लगा रहे हैं. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री को चुनौती दी कि अगर राष्ट्रीय राजधानी में पानी 100 फीसदी शुद्ध है तो बीआईएस मानक को अनिवार्य करें. पासवान ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) पर सवाल उठाने के लिए भी केजरीवाल की आलोचना की.
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बीआईएस एक स्वायत्त निकाय है, जिसने विभिन्न उत्पादों और सेवाओं के लिए लगभग 25,000 गुणवत्ता मानक तय किए हैं. गौरतलब है कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली से लिये गए पानी के सभी 11 नमूने जल की गुणवत्ता मापने वाले 19 मापदंडों पर खरे नहीं उतरे. इसमें कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी में पेयजल की गुणवत्ता देश में सबसे खराब है. इसके बाद से ही नेताओं के बीच वाकयुद्ध जारी है.
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केंद्रीय मंत्री पासवान ने कहा था कि बीआईएस और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के तकनीकी अधिकारियों वाली एक समिति का जल्द गठन किया जाना चाहिए और इस महीने के अंत तक उसे राष्ट्रीय राजधानी के 70 जिलों और 140 वार्ड से पानी के नमूने लेने चाहिए. राजनीति से जुड़े किसी शख्स के समिति में ना होने की बात दोहराते हुए उन्होंने कहा कि पानी के नमूनों की जांच सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में की जानी चाहिए और इसकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक होनी चाहिए. केजरीवाल द्वारा घोषित की गई 32 समितियों का अब तक गठन ना किए जाने पर पासवान ने हैरानी जतायी और अपनी ओर से इन समितियों के लिए बीआईएस के 32 अधिकारियों के नाम की एक सूची जारी की.