दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक के रूप में काम करने वाले आदित्य नारायण मिश्रा एक उम्मीद बनकर उभरें हैं. उम्मीद दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का जीवन बेहतर बनाने की, उम्मीद दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के हितों की रक्षा की. आदित्य नारायण मिश्रा 1993 से लगातर शिक्षक हितों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आदित्य नारायण मिश्रा ने पिछले 30 सालों में शिक्षक हितों को लेकर खुलकर आवाज उठाई है. आदित्य DUTA के इतिहास में सबसे युवा प्रेसिडेंट तो रहे ही, वे तीन बार डूटा के प्रेसिडेंट चुने गए और हर बार अपने को साबित किया. यही नहीं आदित्य दो बार FEDCUTA के अध्यक्ष रह चुके हैं. इस दौरान इन्होंने तब की सरकारों से लड़कर देश के शिक्षक हिंतो की रक्षा की है. आज भी आदित्य के इन कामों का प्रभाव दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के जीवन पर पड़ रहा है.
बीते तीन दशकों में किए कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं
1. 2003 में माडल एक्ट के रूप में शिक्षा के निजीकरण का जो प्रारूप बिरला-अंबानी रिपोर्ट के नाम से तत्कालीन NDA सरकार की ओर से थोपा गया था, उसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन खड़ाकर उसे वापस कराने का श्रेय आदित्य को दिया जाता है.
2. किसी भेदभाव के बिना एक समान रिटायरमेंट उम्र (62से 65 वर्ष) भी आदित्य के खास प्रयासों से संभव हो सका, इस लाभा आज DU को ही नहीं, बल्कि देश की सभी सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के शिक्षक साथियों को प्राप्त हो रहा है.
3.6th pay कमीशन जो आज तक का सबसे बेहतर पे कमीशन है वह आदित्य ही लेकर आए थे.
4. उच्च शिक्षा में ओबीसी रिजर्वेशन दिलाने व उसकी एवज में 4500 अतिरिक्त नए पदों के सृजन कराने का श्रेय आदित्य को ही जाता है.
5. इस दौरान अतिरिक्त पदों के अलावा डीयू के सभी कॉलेजों को इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रांट में 10 से 20 करोड़ रुपए भी उन्होंने ही दिलाया.
6. IAS की बेसिक सैलरी 6 पे कमीशन में 5400 तय की गई है. वहीं आदित्य के लगातार संघर्ष से असिस्टेंट प्रोफेसर का 6 हजार ग्रेड पे तय हुआ है.
7. एडहॉक शिक्षकों का टीचिंग अनुभव गिनना, बिना किसी बाधा के उनकी पुनर्नियुक्ति, पूरे वेतनमान व भत्तों वाली सैलरी और सम्मान आदित्य के प्रयासों से संभव हो पाया है.
8. UGC रेगुलेशन 2018 AAD और DTF के संयुक्त नेतृत्व वाली DUTA के प्रयासों व संघर्षों का परिणाम था.
9. 4 दिसंबर 2019 को जब हजारों शिक्षकों ने अपने हितों की रक्षा को लेकर VC ऑफिस का घेराव किया था तब उस आंदोलन को संघर्ष की धार और नैतिकता बल आदित्य जी ने दिया था. उसी आंदोलन के कारण नियुक्ति और प्रमोशन की प्रक्रिया आरंभ हुई.
10. आपको याद रहे कि डूटा जनरल बॉडी द्वारा अब्जॉर्प्शन (Absorption) का मामला आदित्य के मुखर और अथक प्रयासों से ही पारित हो सका. इसे हू-ब-हू लागू कराने को लेकर वे आज भी पूरी तरह कटिबद्ध हैं.
आदित्य नारायण मिश्रा ने अपना पूरा जीवन शिक्षक हितों के लिए लगा दिया. अब अगर आगे भी कोई शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए लड़ सकता है तो वह नाम आदित्य नारायण मिश्रा का ही है. 27 सितंबर 2023 को होने वाले डुटा चुनाव में आदित्य नारायण मिश्रा के समर्थन से उच्च शिक्षा में हो रहे निजीकरण, व्यावसायीकरण तथा शिक्षकों के सर्विस कंडीशन पर हो रहे निरंतर प्रहार पर पांबदी लगाई जा सकती है.
Source : News Nation Bureau