दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी को भले ही कांग्रेस का साथ मिला है. आम आदमी पार्टी सोच रही है कि वह अब राज्यसभा में इस बिल के विरोध में वोटिंग कराकर कानून बनने से रोक सकती है, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. केंद्र सरकार बिल पास कराने की तैयारी में जुट गई है. हालांकि, केंद्र सरकार के लिए बिल को पास कराना उतना भी आसान नहीं है. बहुत कुछ नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल और जगनमोहन रेड्डी की वाई एस आर कांग्रेस के रुख पर निर्भर करेगा. आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अध्यादेश को लेकर गैर बीजेपी पार्टियों के प्रमुखों से मुलाकात कर समर्थन जुटा चुके हैं, लेकिन राज्यसभा का गणित इस समय बीजेपी के पक्ष में मजबूत है.
राज्यसभा की 11 सीटों पर 24 जुलाई को चुनाव है. इसमें सात सीटें खाली हो जाएगी. वहीं, बीजेपी की एक सीट बढ़ेगी और कांग्रेस की 1 सीट कम होगी. उच्च सदन की कुल 245 सीटों में से जम्मू-कश्मीर की 4 सीट, उत्तर प्रदेश की 1 सीट खाली होगी. इसके साथ ही मनोनित सदस्यों की 2 सीटें भी रिक्त होंगी. इसके हिसाब से 24 जुलाई के बाद राज्यसभा की कुल सीट 238 रह जाएगी. बहुमत का आंकड़ा 120 हो जाएगा.
राज्यसभा में एनडीए की बढ़ी ताकत
वहीं, इसके बाद भाजपा की सीटें 93 हो जाएंगी. इसके साथ ही बीजेपी और सहयोगी दलों की सीटें मिलाकर 105 रहेंगी. बीजेपी को पांच मनोनीत और दो निर्दलीय सांसदों का समर्थन भी मिलेगा. सरकार के पक्ष में 112 सांसद हैं, जो बहुमत के आंकड़े से 8 कम है. इधर कांग्रेस के पास 30 सीटें रह जाएगी.
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सरकार को इन दलों से समर्थन की उम्मीद
बीजेपी को बहुजन समाज पार्टी, जेडीएस और टीडीपी के एक-एक सांसदों से भी समर्थन की उम्मीद है. सरकार को बिल पास कराने के लिए बीजेडी और वायएसआरसीपी के मदद की जरूरत होगी. इन दोनों पार्टियों के 9-9 सांसद हैं. सरकार को उम्मीद है कि ये दोनों दल उनका समर्थन कर सकती है. हालांकि, बीजेडी ने कहा है कि वह बिल सदन में चर्चा और मतदान के लिए आने पर सदन में ही फैसला करेगी. वाईएसआरसीपी ने भी अपना रुख साफ नहीं किया है.
पिछले साल राज्यसभा में एक बिल आया था. उस वक्त बीजेडी और वाईएसआरसीपी ने सदन का बहिष्कार कर दिया था. उस समय सरकार को मदद मिल गई थी. अगर इस बार भी दोनों दल ऐसा करती है तो सरकार को बहुमत का आंकड़ा 111 जुटाना होगा और मौजूदा समीकरण के मुताबिक, सरकार के पास 112 सांसदों का समर्थन हासिल है. ऐसे में सरकार आसानी से बिल पास करा सकती है.