Delhi Air pollution : देश की राजधानी दिल्ली में कनॉट प्लेस के नजदीक और आनंद विहार बस अड्डे के करीब 2 एंटी स्मॉग टावर (anti smog tower) बनाए गए हैं. इसका असर तकरीबन एक किलोमीटर की परिधि पर नजर आता है. सीपी के करीब एयर क्वालिटी इंडेक्स पीएम 2.5 में 100 के करीब है, जबकि पूरी दिल्ली का 360 से भी ज्यादा है. इससे यह साफ हो जाता है कि ऐसे टावर से प्रदूषण को कम करने में तो मदद मिलती है, लेकिन इसमें बिजली की खपत भी अच्छी खासी होती है.
गौरतलब है कि भारत में 60 प्रतिशत से अधिक बिजली का उत्पादन कोयले से होता है, जो अपने आप में प्रदूषण फैलने की बड़ी वजह है. दिल्ली के आसपास की 11 थर्मल पावर प्लांट में भी कोयले का ही इस्तेमाल होता है. एंटी स्मॉग टावर एक वैकल्पिक हल हो सकता है, लेकिन पराली और पटाखों के साथ दिल्ली के वाहनों की वजह से फोड़े प्रदूषण पर कठोर कार्रवाई करनी होगी. बयो फ्यूल, हाईड्रोजन, इलेक्ट्रिक व्हीकल तकनीक के जरिए ही प्रदूषण पर नियंत्रण संभव है.
आपको बता दें कि वहीं, सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण को लेकर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने एनसीआर में केंद्र सरकार के वाहनों की संख्या बहुत अधिक नहीं है. जब भी वर्क फ्रॉम होम की बात आती है तो अधिक नुकसान होते है. वर्क फ्रॉम होम का सीमित प्रभाव होगा, इसलिए हमने कार पूलिंग की सलाह दी है. इस पर सीजेआई ने कहा कि प्रदूषण कम करने पर हमारा ध्यान है. आप सभी एक ऐसे मुद्दे को बार-बार उठा रहे हैं जो प्रासंगिक नहीं है. SC ने केंद्र से पूछा कि आखिर पटाखों पर बैन के बावजूद दीपावली पर पटाखे क्यों जलाएं गए. अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.
Source : News Nation Bureau