इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभागीय जांच के बगैर अध्यापक को बर्खास्त करने के बीएसए अमरोहा के आदेश को रद्द कर दिया है. साथ ही अध्यापक को उसके निलंबन की तिथि से बकाया वेतन का भुगतान छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने अमरोहा के नज़ाकत अली की याचिका पर दिया है. याची के अधिवक्ता का कहना था कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अमरोहा ने याची को अप्रैल 2014 में निलंबित कर दिया था.
इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई, जिस पर कोर्ट ने 24 अप्रैल 2022 को बीएसए से पूछा कि याची को कोई चार्जशीट दी गई थी या नहीं. कोर्ट के जवाब मांगने के बाद बीएसए ने याची सहित आठ अन्य अध्यापकों को 28 अप्रैल 2022 को ड्यूटी से अनधिकृत रूप से गैरहाजिर रहने के आरोप में बर्खास्त कर दिया.
बर्खास्तगी आदेश को भी चुनौती दी गई तो कोर्ट ने बीएसए को जवाब दाखिल करने या स्वयं उपस्थित होने का आदेश दिया. बीएसए के हालफनामे में इसका जवाब नहीं दिया गया कि अध्यापक के खिलाफ न तो कोई विभागीय जांच की गई और न ही उसे चार्जशीट दी गई. कोर्ट ने बीएसए के दोनों आदेश रद्द कर दिए और बहाल करते हुए वेतन भुगतान का आदेश दिया है.
Source : News Nation Bureau