तेज रफ्तार से बहती हवाओं के बावजूद, राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता रविवार दोपहर को 316 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर प्रति घंटा औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक के साथ 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने संवेदनशील ग्रुप्स को लंबे या भारी परिश्रम को कम करने की सलाह दी है. यदि दमा है, तो दवा को पास में रखने पर जोर दिया. शहर के 39 प्रदूषण निगरानी स्टेशनों में से, वायु गुणवत्ता सूचकांक उत्तर पश्चिम जिले के जहांगीरपुरी क्षेत्र में सबसे अधिक है, इसके बाद बवाना में 276 है. आईजीआई हवाईअड्डे पर 68 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के साथ यह सबसे कम है.
'सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च' (सफर) के अनुसार, "हवाएं पश्चिम-दक्षिणपूर्वी दिशा में हैं और अगले 24 घंटों के लिए उच्च रहने और धीरे-धीरे कम होने का अनुमान है." पूर्वानुमान में आगे कहा गया है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 7 फरवरी को खराब से बहुत खराब श्रेणी में बनी रहेगी. 9 और 10 फरवरी को बहुत खराब श्रेमी में रहने का अनुमान है.
दिल्ली के पड़ोसी क्षेत्र - फरीदाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम में भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी की है. गाजियाबाद और नोएडा की हवा की गुणवत्ता सबसे खराब रही, जहां क्रमश: 338 और 322 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई. 0-5 की सीमा के भीतर के एक्यूआई को अच्छा माना जाता है, 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को मध्यम, 201-300 को बहुत खराब और 401-500 को गंभीर माना जाता है.
कई दिनों से प्रदूषण का स्तर खराब
दरअसल, दिल्ली-एनसीआर में पिछले कई दिनों से प्रदूषण का स्तर खराब और बहुत खराब श्रेणी में बना हुआ था. हवा न चलने की वजह जिले का एक्यूआई 300 से ऊपर पहुंच रहा था. इस सप्ताह की शुरुआत से एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से ऊपर बना हुआ था. बृहस्पतिवार यानि 4 फरवरी को एक्यूआई 308 दर्ज किया गया था. वहीं, बृहस्पतिवार सुबह से ही हल्की बूंदाबांदी शुरू हो गई थी. इस दौरान तेज हवाओं की वजह से सर्दी भी बढ़ गई. हालांकि इसका असर रहा कि दिल्ली एनसीआर का एक्यूआई कम हुआ और हवा सांस लेने लायक हो गई.
Source : IANS