दिल्ली में कोरोना से हो रही मौत के आंकड़ों को लेकर विवाद छिड़ गया है. जिस पर केजरीवाल सरकार (Kerjriwal Government) ने सफाई देते हुए कहा कि यह देखा गया है कि सरकारी और निजी अस्पताल नियमित रूप से COVID19 अपडेट नहीं भेज रहे हैं. उसने कहा कि कोरोना वायरस मौतों के बारे में दैनिक जानकारी मृत्यु लेखा समिति को नहीं भेजा जा रहा है. जिससे दैनिक रिपोर्ट में देरी होती है या गलत विवरण प्रस्तुत किया जाता है.
इसके साथ ही अस्पतालों पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए केजरीवाल सरकार ने कहा कि सभी सरकारी और निजी अस्पताल कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत की रिपोर्ट पर तुरंत SOP का पालन करते हुए सूचना दें. इसके साथ ही सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव यह सुनिश्चित करें कि अफसर और अस्पताल इस आदेश का सख्ती से पालन करें.
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इसके साथ ही चेतावनी देते हुए सीएम केजरीवाल ने कहा कि मौत के मामलों की रिपोर्ट में देरी होने पर COVID-19 अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं को सख्त कार्रवाई की जाएगी.
गौरतलब है कि शनिवार को एक अखबार ने खबर छापी थी कि दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन जब कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 66 बता रहा है तब दिल्ली के 5 अस्पतालों में ही 116 कोरोना संक्रमितों की मौत की बात अस्पतालों की रिपोर्ट में आ रही है.
जिसके बाद कांग्रेस नेता अजय माकन और भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मुख्यमंत्री से कोरोना के मामलों में पारदर्शिता बरतने और सच बताने की मांग की थी.
रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सीएम केजरीवाल कहा कि दिल्ली मे कोरोना के 75% मामले बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले हैं. इसके अलावा गंभीर रूप से संक्रमित और संक्रमण से मरने वालों की संख्या काफी कम है.
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केजरीवाल ने बताया कि उनकी सरकार ने केंद्र के दिशा निर्देशों के अनुसार कोरोनावायरस के हल्के लक्षणों वाले मरीजों का इलाज उनके घरों में ही करने के बंदोबस्त किए हैं. 6,923 मरीजों में से केवल 1,476 को ही अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
केजरीवाल ने बताया कि हमारी टीमें यह पता लगाने के लिए उनके घर का निरीक्षण करती हैं और पता लगाती हैं कि वहां क्वरैंटाइन रहने के नियम का पालन किया जा सकता है या नहीं. हमारी टीमें ऐसे लोगों के साथ नियमित संपर्क में हैं और अगर जरूरत पड़ती है तो संक्रमित लोग या उनके परिवार के सदस्य अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं. अगर घर पर पृथक रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है तो सरकार मरीज को कोविड-19 देखभाल केंद्र भेज सकती है जहां वह 14 दिनों तक रह सकता है.'
(इनपुट भाषा)